रायपुर (पब्लिक फोरम)। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने प्रदेश में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा और अल्पसंख्यक विरोधी बयानों पर चिंता व्यक्त की है। पार्टी ने भाजपा शासित राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह इन भड़काऊ और गैर-कानूनी बयानों पर चुप्पी साधे हुए है। माकपा का कहना है कि प्रदेश में खुलेआम कानून की अवहेलना कर शस्त्र उठाने और गोधरा जैसी घटनाओं को दोहराने की धमकियां दी जा रही हैं, लेकिन सरकार इन पर कार्रवाई करने से बच रही है।
माकपा की छत्तीसगढ़ राज्य समिति ने 14 अगस्त को तेलीबांधा में आयोजित सर्व सनातन हिंदू पंचायत की सभा में तथाकथित स्वामी शिव स्वरूपानंद के भाषण की कड़ी आलोचना की है। सभा में स्वामी शिव स्वरूपानंद ने शस्त्र उठाने और गोधरा कांड दोहराने का आह्वान किया था, जिसे माकपा ने कानून और संविधान का खुला उल्लंघन बताया है। पार्टी ने तुरंत प्रकरण दर्ज कर स्वामी शिव स्वरूपानंद की गिरफ्तारी की मांग की है। माकपा का कहना है कि यह सीधे तौर पर लोगों को कानून अपने हाथ में लेने और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने का मामला है।
इसी तरह 28 अगस्त को बजरंग दल द्वारा रैली और धरना के लिए प्रतिबंधित रायपुर के बूढ़ातालाब से निकाली गई रैली में भी भड़काऊ नारे लगाए गए। माकपा ने कहा कि प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद विभाजनकारी तत्व अधिक सक्रिय हो गए हैं और घृणा फैलाने के साथ ही कानून का उल्लंघन करने के प्रयास तेज हो गए हैं। पार्टी ने इन घटनाओं की उपेक्षा के लिए राज्य सरकार की आलोचना की और प्रदेश के डीजीपी से इन मामलों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
माकपा ने यह स्पष्ट किया है कि इस तरह के बयानों और कार्यों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और सरकार की निष्क्रियता को जनता के बीच गलत संदेश के रूप में देखा जा सकता है। पार्टी ने सरकार से आग्रह किया है कि वह अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन करे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे, ताकि प्रदेश में कानून का राज कायम रह सके और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखा जा सके।
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