शुक्रवार, अक्टूबर 18, 2024
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बिहार में भाकपा-माले का ‘हक दो-वादा निभाओ’ अभियान: नए बिहार के निर्माण का संकल्प

पटना (पब्लिक फोरम)। बिहार की राजनीति में बदलाव की बयार बहाते हुए भाकपा-माले ने ‘हक दो-वादा निभाओ’ अभियान की शुरुआत की। राज्यस्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन में माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने घोषणा की कि बिहार अब संक्रमण के दौर में है और विकास के झूठे दावे अब नहीं चलेंगे। उन्होंने बिहार को एक नया रूप देने का संकल्प लिया और साझा रोजगार के बिना विकास के हर दावे को फर्जी बताया।
अभियान के मुख्य बिंदु:
– गरीब परिवारों को सहायता: 95 लाख गरीब परिवारों को 2 लाख रु. की सहायता राशि।
– भूमिहीनों को जमीन और पक्का मकान: भूमिहीन परिवारों को 5 डिसमिल जमीन और सभी को पक्का मकान।
– किसानों के लिए समर्थन: एमएसपी की गारंटी, सिंचाई साधन, कृषि विकास।
– महिलाओं और युवाओं के मुद्दे: स्कीम वर्कर्स, महिला रोजगार, पलायन, शिक्षा-स्वास्थ्य।
– विशेष राज्य का दर्जा: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और 65 प्रतिशत आरक्षण।

अपराध और अन्य मुद्दे:
भाकपा-माले ने बिहार में बढ़ते अपराध और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के पिता की हत्या की निंदा की। नीट घोटाला, मुजफ्फरपुर चिट फंड मामले, पुल टूटने की घटनाओं और चुनाव बाद की हिंसा जैसे मुद्दों को भी उठाया जाएगा।
राजनीतिक प्रस्ताव:
– सहायता राशि की प्रक्रिया में सुधार: बिना शर्त 72 हजार रु. से नीचे का वार्षिक आय प्रमाण पत्र जारी करने की मांग।
– नीति आयोग की रिपोर्ट: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए केंद्र-राज्य सरकार पर दबाव बनाने का आह्वान।
– भ्रष्टाचार और लापरवाही: पुल-पुलियों के ढहने की घटनाओं पर उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग।
– नई दंड संहिता: नए कानूनों की समीक्षा और दमनकारी प्रावधानों को निरस्त करने की मांग।

आंदोलन की दिशा:
22 से 26 जुलाई तक विधानमंडल सत्र के दौरान विभिन्न मुद्दों पर आंदोलनात्मक पहल की जाएगी। नीट घोटाले, रसोइयों के न्यूनतम मानदेय, पुल टूटने की घटनाओं और चुनाव बाद की हिंसा आदि सवालों को प्रमुखता से उठाया जाएगा।

माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने बताया कि बिहार की सरकार विगत 20 वर्षों से राज्य की वास्तविक समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने भाजपा पर बिहार में हावी होने की कोशिश का आरोप लगाया और कहा कि भाकपा-माले एक नया बिहार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उनके अनुसार, बिना रोजगार के विकास का हर दावा झूठा है और बिहार में सामाजिक-आर्थिक बराबरी और लोकतंत्र को मजबूत बनाने का समय आ गया है।

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