नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। लोकसभा में बजट पर चर्चा के दौरान भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के सांसद कॉमरेड राजाराम सिंह ने सरकार की नीतियों पर करारा प्रहार किया। उन्होंने वर्तमान बजट को जनविरोधी करार देते हुए कहा कि सरकार ने न तो लोकसभा चुनाव के जनादेश से सीखा है और न ही हाल के उपचुनावों में मिली हार से कोई सबक लिया है।
कृषि क्षेत्र की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा, “कृषि का बजट साल-दर-साल घटता जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि कॉरपोरेट घराने बैठकर गणना कर रहे हैं कि कृषि को कैसे पीछे धकेला जाए।”
युवाओं के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने सरकार की स्किल इंडिया योजना पर सवाल उठाए। “आर्थिक सर्वेक्षण कहता है कि युवाओं का एक बड़ा हिस्सा रोजगार के लायक ही नहीं है। तो फिर स्किल इंडिया क्या कर रहा था? वह स्किल इंडिया था या किल इंडिया?” सिंह ने पूछा।
इंटर्नशिप कार्यक्रम की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, “युवाओं को इंटर्नशिप के नाम पर कॉरपोरेट को लाभ पहुंचाने की योजना है। इससे अग्निवीर की तरह ‘कंपनीवीर’ बनेंगे!”
टैक्स नीति पर टिप्पणी करते हुए माले सांसद ने कहा, “आम आदमी से 60% टैक्स लिया जा रहा है, जबकि अमीर और अति-अमीर वर्ग से मुश्किल से 2% टैक्स वसूला जाता है। ऐसे में स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च कैसे होगा? पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) कैसे लागू होगी?”
अंत में, उन्होंने बिहार के विशेष राज्य के दर्जे का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया और केंद्र सरकार द्वारा बिहार की उपेक्षा की ओर ध्यान आकर्षित किया।
इस प्रकार, कॉमरेड राजाराम सिंह ने बजट में किसानों, युवाओं और आम जनता के हितों की अनदेखी के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया, जिससे सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
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