अक्टूबर माह से अभियान चलाने का निर्णय
कोरबा (पब्लिक फोरम)। केंद्र की भाजपा सरकार की कार्पोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ देश के मजदूर किसान अक्टूबर माह से अभियान छेड़ेगी। देश की राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित देश के प्रमुख ट्रेड यूनियनों व संयुक्त किसान मोर्चा के एक संयुक्त कनवेंशन से यह निर्णय लिया गया है।
एक प्रेस बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य समिति सदस्य सुखरंजन नंदी ने कहा कि कनवेंशन में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसमे देश की वर्तमान राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक परिथितियों से संबंधित था। संयुक्त कन्वेंशन ने इस बात को नोट किया कि मोदी राज में आर्थिक असमानताएं बढ़ी है। एक तरफ गरीब लोग और गरीब हुए है। दूसरी तरफ कार्पोरेट घरानों के संपत्ति में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
कन्वेंशन में इस बात को भी रेखांकित किया कि देश में आज नफरत का जहर को सुनियोजित तरीके से पड़ोसा जा रहा है, जो समाज को कलुषित करने के साथ ही विभाजित भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों केंद्र की सरकार ने किसानों के विभिन्न समस्यायों के समाधान करने का आश्वासन दिया था, जिसका केंद्र की सरकार ने अभी तक पालन नहीं किया है।आज भी देश में किसानो के सभी उत्पादों का समर्थन मूल्य सरकार ने घोषित नही किया है और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून नही बनाया है। जो किसानों के साथ धोखाधड़ी है।
किसान नेता ने कहा कि आगामी अक्टूबर माह से केंद्र सरकार की कार्पोरेट परस्त नीतियों के विरोध में मजदूर किसान सड़को पर उतरेंगे। पहले चरण में 26 अक्टूबर को राजभवन के समक्ष दिन रात का धरना दिया जाएगा। दिसंबर एवं जनवरी माह में दो मास व्यापी विरोध कार्यवाही संगठित की जाएगी।
कनवेंशन में किसान संगठनों की ओर से अखिल भारतीय किसान सभा के अलावा संयुक्त किसान मोर्चा के घटक संगठने भी शामिल थे।
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