कोरबा/बालकोनगर (पब्लिक फोरम)। बालकोनगर में आवासीय मकानों को खाली कराने को लेकर एक गंभीर विवाद उभर आया है। नेहरू नगर मंडल कांग्रेस के अध्यक्ष बुद्धेश्वर प्रसाद चौहान ने जिलाधीश कोरबा को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए आरोप लगाया है कि बालको प्रबंधन सुनियोजित षड्यंत्र के तहत मकान खाली करवाकर उस भूमि पर औद्योगिक इकाई स्थापित करने की तैयारी कर रहा है।
कथित “जर्जर मकानों” के बहाने उद्योगिक निर्माण की साजिश का आरोप
ज्ञापन में कहा गया है कि बालको प्रबंधन ने जानबूझकर अपने आवासीय परिसर के कई मकानों को वर्षों से जर्जर अवस्था में छोड़ दिया है। अब उन्हीं मकानों को “असुरक्षित” घोषित कर वहां से निवासियों को बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
कांग्रेस नेता चौहान ने यह भी दावा किया कि प्रबंधन की वास्तविक मंशा आवासीय परिसर की जगह किसी नई औद्योगिक इकाई या कूलिंग टावर जैसी संरचना खड़ी करने की है — जैसा कि पूर्व में भी किया जा चुका है।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबंधन ने स्थानीय प्रशासन को दरकिनार करते हुए एक निजी इंजीनियर से मनमाफिक रिपोर्ट तैयार कराई है, जिसमें मकानों की संरचना अवधि और स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इससे न केवल प्रशासन की भूमिका की उपेक्षा हुई है, बल्कि राजस्व की हानि भी हुई है, जो “एक आपराधिक कृत्य” की श्रेणी में आता है।

प्रशासनिक जांच और आदेश पर रोक की मांग
ज्ञापन में जिलाधीश से आग्रह किया गया है कि बालको प्रबंधन द्वारा 31अक्टूबर 2025 तक जारी मकान खाली कराने संबंधी नोटिस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। साथ ही, संबंधित प्रकरण की तथ्यात्मक जांच सक्षम शासकीय इंजीनियरों द्वारा कराई जाए ताकि मकानों की वास्तविक स्थिति और संरचना अवधि का सही आकलन हो सके।
शांतिपूर्ण धरने की चेतावनी
नेहरू नगर मंडल कांग्रेस ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने उचित कार्रवाई नहीं की, तो 30 अक्टूबर 2025 से अनिश्चितकालीन शांतिपूर्ण धरना शुरू किया जाएगा।
श्री चौहान ने कहा कि “हमारा आंदोलन पूर्णतः शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक होगा, लेकिन यदि प्रशासन ने निष्पक्ष जांच नहीं की, तो उसके परिणामों की पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।”
संबंधित अधिकारियों को भेजी गई प्रतिलिपि
इस ज्ञापन की प्रतिलिपि आयुक्त नगर पालिका निगम कोरबा, अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, नायब तहसीलदार और थाना प्रभारी बालकोनगर को भी भेजी गई है, ताकि संबंधित विभाग स्थिति की गंभीरता को समझते हुए समय पर हस्तक्षेप कर सकें।
स्थानीय लोगों में बढ़ती चिंता और असंतोष
बालकोनगर के स्थानीय निवासियों के बीच भी इस कार्रवाई को लेकर गहरी चिंता देखी जा रही है। कई लोगों का कहना है कि वर्षों से बालको कर्मचारी परिवार इन मकानों में रह रहे हैं और अब उन्हें अचानक “असुरक्षित” घोषित कर बेदखल किया जा रहा है, जो अन्यायपूर्ण है।
न्यायपूर्ण समाधान की प्रतीक्षा
बालको प्रबंधन और स्थानीय निवासियों के बीच यह टकराव अब प्रशासन के सामने एक गंभीर चुनौती बन गया है। कांग्रेस संगठन की यह मांग कि मकानों की जांच सरकारी इंजीनियरों से कराई जाए, न्याय और पारदर्शिता की दिशा में एक जरूरी कदम प्रतीत होती है।
अब देखना यह है कि जिलाधीश और संबंधित प्रशासनिक अधिकारी इस मामले में कितनी संवेदनशीलता और निष्पक्षता से कार्रवाई करते हैं।




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