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बालको की बहुमंजिला इमारत निर्माण पर विवाद: पेड़ कटाई की अनुमति रद्द, फिर भी कट रहे पेड़, प्रशासन की भूमिका पर उठे गंभीर सवाल

कोरबा (पब्लिक फोरम)। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (BALCO) द्वारा प्रस्तावित एक बहुमंजिला इमारत के निर्माण को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जिला प्रशासन ने पहले पेड़ कटाई की अनुमति दी, फिर उसे एक ऐसे कारण से रद्द कर दिया जो खुद सवालों के घेरे में है। वहीं दूसरी ओर, अनुमति रद्द होने के बावजूद निर्माण स्थल पर धड़ल्ले से पेड़ों को धराशायी किया जा रहा है, जिससे प्रशासन और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गए हैं।

अनुमति का पेंच और प्रशासन का उलझा हुआ पेचीदा फैसला

यह पूरा मामला वेदांता-बालको के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी धारक सुमंत सिंह पिता सूबेदार सिंह द्वारा दायर किए गए एक आवेदन से शुरू हुआ। उन्होंने बहुमंजिला इमारत के निर्माण के लिए विभिन्न खसरा नंबरों की भूमि पर लगे पेड़ों को काटने/शिफ्ट करने की अनुमति मांगी थी।

पहला आवेदन: शुरुआती आवेदन में खसरा नंबर 199/1 समेत कई अन्य खसरे शामिल थे।
संशोधित आवेदन: बाद में, सुमंत सिंह ने अपने आवेदन को संशोधित किया और इसमें से खसरा नंबर 199/1 को हटा लिया।
प्रशासन की अनुमति: जिला प्रशासन ने 2 मई, 2025 को संशोधित आवेदन के आधार पर कुल 16 खसरों पर पेड़ों की कटाई/शिफ्टिंग की अनुमति प्रदान कर दी।
रहस्यमयी निरस्तीकरण: हैरानी की बात यह है कि 3 जून, 2025 को प्रशासन ने इस अनुमति को रद्द कर दिया। निरस्त करने का आधार उसी खसरा नंबर 199/1 को बनाया गया, जिसे आवेदक ने अपने अंतिम आवेदन से हटा दिया था। प्रशासन ने तर्क दिया कि इस खसरे में घास और छोटे झाड़ के जंगल शामिल हैं।

यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि प्रशासन ने उस खसरे को आधार क्यों बनाया, जो अंतिम आवेदन का हिस्सा ही नहीं था? इस विरोधाभास ने पूरे मामले में एक भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है, जिस पर प्रशासन को तत्काल स्पष्टीकरण देना चाहिए।

रद्द आदेश के बावजूद ज़मीनी हकीकत: धड़ल्ले से कट रहे पेड़

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अनुमति रद्द होने के बावजूद, पाड़ीमार स्थित बालकोनगर सेक्टर-6 कॉलोनी के खसरा नंबर 81, 83/2, 84, 85, 86/1 और 86/2 में, जहाँ बालको द्वारा बहुमंजिला इमारत का निर्माण किया जा रहा है, पेड़ों को बेरहमी से जड़ समेत उखाड़ा जा रहा है। स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों में इस बात को लेकर भारी रोष है कि जब अनुमति ही नहीं है, तो वेदांता प्रबंधन की यह अवैध कटाई किसके संरक्षण में हो रही है?

अब तक इस अवैध कटाई पर जिला प्रशासन या वन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई की गई है या नहीं, इस पर भी पर्दा पड़ा हुआ है। इस जानकारी को तत्काल सार्वजनिक किए जाने की मांग उठ रही है।

पेड़ों की गिनती में भारी गड़बड़ी: 154, 172, या 440?

पेड़ों की संख्या को लेकर भी गंभीर विसंगतियां सामने आई हैं, जो मामले को और भी संदिग्ध बनाती हैं:-
बालको का दावा: कंपनी ने अपने आवेदन में केवल 154 पेड़ों की जानकारी दी थी।
प्रशासन की जांच: जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट में 172 पेड़ों का उल्लेख किया गया।
मौके पर हकीकत: निर्माण स्थल पर लगे पेड़ों पर नंबरिंग की गई है, और यह गिनती लगभग 440 तक पहुँच रही है।

पेड़ों की गिनती में यह तीन गुना से भी ज्यादा का अंतर एक बड़े घालमेल की ओर इशारा करता है। यह संदेह पैदा करता है कि क्या पर्यावरण को होने वाले वास्तविक नुकसान को कम करके दिखाने की कोशिश की जा रही थी?

पारदर्शिता की कमी और बालको का पुराना रिकॉर्ड

इस मामले में पारदर्शिता की भारी कमी दिख रही है। प्रशासन को यह सार्वजनिक करना चाहिए कि जिन खसरों पर पेड़ कटाई की अनुमति दी और रद्द की गई, उनकी सटीक लोकेशन क्या है? इसके अलावा, नगर पालिक निगम कोरबा ने बालको को कितनी मंजिलों (ऊंचाई) के भवन निर्माण की अनुमति दी है, यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि वेदांता-बालको का रिकॉर्ड ऐसे मामलों में बेदाग नहीं रहा है। इससे पहले भी कंपनी ने पावर प्लांट के लिए चिमनी का निर्माण बिना नगर पालिक निगम की अनुमति के कर लिया था, जिसके बाद निगम ने उस पर करोड़ों रुपये का भारी जुर्माना लगाया था। यह पुराना रिकॉर्ड मौजूदा मामले में वेदांता प्रबंधन की मंशा पर संदेह को और गहरा करता है।

“यह मामला केवल कुछ पेड़ों की कटाई का नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट जिम्मेदारी, प्रशासनिक पारदर्शिता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति सरकारी तंत्र की गंभीरता का एक लिटमस टेस्ट है। एक तरफ वेदांता-बालको के अधूरे और विरोधाभासी आवेदन हैं, तो दूसरी तरफ प्रशासन के उलझे हुए और तर्कहीन फैसले। इन सबके बीच, ज़मीन पर कटते पेड़ पर्यावरण के उस नुकसान की कहानी कह रहे हैं, जिसकी भरपाई शायद कभी न हो सके। अब गेंद जिला प्रशासन और राज्य सरकार के पाले में है कि वे इस भ्रम की चादर को हटाएं, दोषियों पर कार्रवाई करें और जनता का विश्वास बहाल करें।”

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