शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024
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कोरबा में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत की बढ़त, बीजेपी में मायूसी

छत्तीसगढ़/कोरबा (पब्लिक फोरम)। लोकसभा चुनाव 2024 के मतगणना परिणामों में एक उल्लेखनीय रुझान सामने आया है। कोरबा लोकसभा क्षेत्र में, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और “मोदी की गारंटी” जैसे नारों पर भरोसा किया था, वहां कांग्रेस की प्रत्याशी ज्योत्स्ना महंत लगातार बढ़त बनाए हुए हैं।

मतगणना के वर्तमान रुझानों के अनुसार, ज्योत्स्ना महंत ने 131,033 वोट हासिल किए हैं, जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी, भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और कोरबा लोकसभा प्रत्याशी सरोज पांडे को 119,620 वोट मिले हैं। इस प्रकार, महंत 11,413 वोटों की महत्वपूर्ण बढ़त के साथ आगे चल रही हैं।

यह परिणाम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि कोरबा ऐसी सीट है जो 2019 के लोकसभा चुनावों में भी, जब देश भर में “मोदी लहर” का प्रभाव था, कांग्रेस के खाते में गई थी। उस समय भी ज्योत्स्ना चरणदास महंत ने यहां से जीत हासिल की थी। इस बार, पार्टी ने फिर से उन पर भरोसा जताया और उन्हें टिकट दिया, जो अब तक के परिणामों से एक सही निर्णय प्रतीत होता है।
कोरबा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं, और इन सभी में महंत को मिल रही बढ़त ने कांग्रेसी खेमे में उत्साह का माहौल पैदा कर दिया है। इस जीत का श्रेय न केवल महंत की व्यक्तिगत लोकप्रियता को जाता है, बल्कि यह कांग्रेस और इसके गठबंधन दलों की उस रणनीति को भी दर्शाता है, जिसके तहत वे अपने-अपने क्षेत्रों में स्थानीय मुद्दों और जनता की आकांक्षाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
दूसरी ओर, भाजपा के लिए यह परिणाम चिंता का विषय है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्वयं कोरबा को एक कठिन सीट बताया था, और उनकी यह भविष्यवाणी सही साबित होती दिख रही है। मोदी की छवि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रभाव, और “400 पार” का लक्ष्य – इन सभी कारकों के बावजूद, कोरबा में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है।

यह स्थिति केवल कोरबा तक सीमित नहीं है। देश भर के 543 लोकसभा सीटों पर चल रही मतगणना में, भाजपा के लिए 400 सीटें जीतने का लक्ष्य मुश्किल दिखाई दे रहा है। कांग्रेस और उसके सहयोगी दल विभिन्न राज्यों में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, जो इस बात का संकेत है कि राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय और स्थानीय कारकों की भूमिका अभी भी महत्वपूर्ण है।
कोरबा में ज्योत्स्ना महंत की संभावित जीत इस बात का प्रमाण है कि जनता अब केवल राष्ट्रीय नेतृत्व या बड़े नारों से प्रभावित नहीं होती, बल्कि वह अपने प्रतिनिधियों के कार्यकाल और उपलब्धियों के आधार पर निर्णय लेती है। यह परिणाम न केवल कांग्रेस के लिए एक बड़ी जीत होगा, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता और विविधता को भी दर्शाता है।

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