मुंबई (पब्लिक फोरम)। महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा – देवेंद्र फडणवीस या एकनाथ शिंदे? महायुति में इस मुद्दे पर विवाद जारी है। हालिया संकेतों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में मुंबई के आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ में जल्द से जल्द लौटाने के पक्ष में नजर आ रही है।
महायुति को यदि चुनाव में मामूली बहुमत मिलता तो एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा था। लेकिन भाजपा के शानदार प्रदर्शन ने समीकरण बदल दिए हैं।
भाजपा अब अपने पास मौजूद मजबूत संख्याबल के आधार पर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। पार्टी का मानना है कि फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री रहते हुए, शिंदे के नेतृत्व में 2.5 साल तक सहयोग करते हुए, इस जीत की नींव रखी है।
यह फैसला शिंदे गुट के लिए असहज हो सकता है क्योंकि चुनाव अभियान उनकी अगुवाई में ही चलाया गया था। शिवसेना के नेताओं का कहना है कि यह शिंदे के नेतृत्व की सफलता और उनके मेहनती व्यक्तित्व की स्वीकृति है।
हालांकि, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कथित तौर पर मुख्यमंत्री बदलने पर जोर दे रहा है। भाजपा के लिए यह फैसला हिंदुत्ववादी विचारधारा की जीत का प्रतीक भी है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार के दौरान मजबूती से व्यक्त किया।
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी फडणवीस के पक्ष में है। संगठन फडणवीस के लिए धीरे-धीरे दबाव बना रहा है।
इसके साथ ही, अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) भी फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने के समर्थन में है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय महायुति के भीतर संतुलन बनाने की चुनौती है।
फडणवीस का अनुभव और उनकी छवि उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए मजबूत उम्मीदवार बनाती है। दूसरी ओर, शिंदे ने शिवसेना के पारंपरिक मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ बनाई है।
भाजपा और महायुति के लिए यह फैसला केवल सरकार गठन का नहीं, बल्कि अगले चुनावों की रणनीति तय करने का भी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि राजनीति के इस शतरंज के खेल में अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा, और इसका महाराष्ट्र की सियासत पर क्या असर पड़ेगा।
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