दारागंज के विद्युत शवदाह गृह में हुई अंत्येष्टि, अंतिम यात्रा में शामिल हुए सैकड़ों लोग
प्रयागराज (पब्लिक फोरम)। समकालीन जनमत पत्रिका की प्रबंध संपादक, जन संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश की वरिष्ठ उपाध्यक्ष और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता कामरेड मीना राय का विगत 21 नवंबर 2023 को असमय निधन हो गया।
पेशे से शिक्षिका रहीं मीना राय इलाहाबाद में भाकपा (माले) की मजबूत स्तंभ थीं। उनका जीवन संघर्ष से भरा रहा है. यह समझा भी जा सकता है. उनके जीवन साथी रामजी राय छात्र जीवन से ही पूर्णकालिक कार्यकर्ता रहे हैं और हैं. संप्रति वे भाकपा (माले) के पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं. ऐसे में मीना राय जी के दायित्व को समझा जा सकता है. यह न सिर्फ उनका अपने बच्चों के प्रति रहा है बल्कि ऐसा ही समर्पण तमाम साथियों के साथ भी रहा है. अपनी बेटी समता, बेटा अंकुर और नातिन रुनझुन आदि को उन्होंने सृजनात्मक रूप से तैयार किया. अनेक साथियों को तैयार करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. मां की तरह साथियों की देखरेख करना, उनका खयाल रखना तथा उन्हें सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से तैयार करना, उनमें यह खास गुण था. मीना राय जी अध्यापक पेशे से सेवा मुक्त होने के बाद अपना संपूर्ण जीवन जनवादी व प्रगतिशील विचारधारा और साहित्य के प्रचार-प्रसार में लगा दिया था. वे जहां-जहां जातीं उनका पुस्तक केंद्र वहां उनके साथ भ्रमण करता. सम्मेलन हो, रैली हो, सभा हो, सांस्कृतिक कार्यक्रम हो या कोई भी आयोजन हो, उनका पुस्तक केंद्र वहां मौजूद रहता, इसकी भूमिका घूमता पुस्तक केंद्र की रही है. वह मंच की नहीं, विचार की दुनिया की साथी रही हैं, जमीन और व्यवहार की साथी।
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‘समकालीन जनमत’ को प्रबंधन व्यवस्था को जिस मजबूती के साथ उन्होंने संभाल रखा था, उनके इस योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
मीना राय के अंदर लेखन की भी अद्भुत प्रतिभा थी. उन्होंने अपने जीवन की संघर्ष यात्रा को समर न जीते कोय’ शीर्षक से लिपिबद्ध करना शुरू किया. उन्होंने इसके 29 खंड लिखे. इसे आगे बढ़ाने की उनकी योजना थी।
आज मीना राय नहीं है, पर वे हैं और रहेंगी, उन्होंने संघर्ष करके कठिनाइयों से जूझते हुए जो राह बनाई है, रास्ता दिखाया है, हम सब उन्हें याद करते हुए उस राह पर चलेंगे, बढ़ेंगे, मीना राय जी का परिवार बहुत बड़ा है और उनके जाने का दुख भी महादुख है।
श्रद्धांजलि सभा के दौरान भाकपा (माले) के वरिष्ठ नेता व पोलित ब्यूरो सदस्य का. स्वदेश भटाचार्य ने कहा कि मीना राय, जिनको प्यार से बहुत लोग मीना भाभी कहते हैं, पाटी की शुरुआत से ही अहम भूमिका निभाती रही हैं. सिर्फ वही कम्युनिस्ट नहीं बनीं, बल्कि पूरी पीढ़ी को कम्युनिस्ट बनने की प्रेरणा दी. उन्होंने पार्टी की विचारधारा को फैलाने में स्तंभ की भूमिका निभाई. किसी भी तरह का आंदोलन और पार्टी की कोई भी गतिविधि हो, उसको अपना मानकर पूरा करना उनके व्यवहार में था. जनमत पत्रिका को शुरुआत से लेकर अब तक बढ़ाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका जाना पार्टी के लिए बहुत ही बड़ी क्षति है।
एक दिन पहले ही, 21 नवंबर की सुबह मस्तिष्क के पक्षाघात से उनका निधन हुआ. यह दौरा इतना घातक था कि इसने इलाज के लिए समय भी नहीं दिया और वह देखते-देखते हम सबसे दूर चली गई, वह समाज, राजनीति और संस्कृति की दुनिया में पुरावक्ती कार्यकर्ता थीं. वे जनवादी और प्रगतिशील दुनिया की जरूरत थीं, उनकी शवयात्रा सैंकड़ों व्यक्तियों की भागीदारी के साथ आवास से शुरु होकर भाकपा (माले) जिला कार्यालय (171, कर्नलगंज) से होते हुए दारागंज शवदाह गृह पहुंची, जहां अश्रुपूरित नेत्रों और भारी मन से नेताओं-कार्यकर्ताओं ने उन्हें अंतिम लाल सलाम कहा।
श्रद्धांजलि सभा व अतिम यात्रा में प्रमुख रूप से भाकपा (माले) के बिहार राज्य सचिव कामरेड कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य व का. मीना राय के जीवनसाथी का. रामजी राय, भाकपा (माले) पोलित ब्यूरो सदस्य का. अमर व केन्द्रीय कमेटी सदस्य का. सरोज चौबे, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव का सुधाकर यादव, ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी, समकालीन लोकयुद्ध पत्रिका के संपादक संतोष सहर, इलाहाबाद विवि के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष लाल बहादुर सिंह, झारखंड में भाकपा (माले) विधायक विनोद सिंह, जसम के महासचिव मनोज सिंह, ऐक्टू के प्रदेश अध्यक्ष विजय विद्रोही, आइसा के प्रदेश अध्यक्ष आयुष श्रीवास्तव, इलाहावाद विवि के प्रोफेसर प्रणय कृष्ण, वसंत त्रिपाठी, कुमार वीरेंद्र, लक्ष्मण गुप्ता, प्रो. अवधेश प्रधान, आशीष मित्तल, वरिष्ठ एडवोकेट व मानवाधिकार कार्यकर्ता केके रॉय, चिकित्सक डा. स्वामीनाथ, पार्षद शिवसेवक सिंह, अविनाश मिश्र, सुरेंद्र राही, अंशु मालवीय, विनोद तिवारी, हिमांशु रंजन, हेरंब चतुर्वेदी, अजय जेटली, डा. कमल उसरी, ऐपवा राज्य सचिव कुसुम वर्मा, पद्मा सिंह, गायत्री गांगुली, फिल्मकार संजय जोशी, कवि रूपम मिश्र, नीलम शंकर, अनीता गोपेश, अनिल रंजन भौमिक, पंचम लाल, राम शिया, पत्रकार सुशील मानव, आरवाइए प्रदेश सचिव सुनील मौर्य, मनीष कुमार, शिवानी और दिल्ली, झारखंड, बिहार के अतिरिक्त लखनऊ, बनारस, आजमगढ़ आदि शहरों से लेखक, पत्रकार, एक्टिविस्ट आदि शामिल रहे।
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