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भारत में ‘द वायर’ वेबसाइट ब्लॉक होने का दावा: सरकार पर लगा प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का गंभीर आरोप

नई दिल्ली । भारत की प्रतिष्ठित स्वतंत्र समाचार वेबसाइट ‘द वायर’ (The Wire) ने एक सनसनीखेज दावा करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने देशभर में उसकी वेबसाइट (thewire.in) तक पहुंच को पूरी तरह से ब्लॉक करने का आदेश दिया है। वेबसाइट का कहना है कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISPs) ने उन्हें बताया है कि यह कार्रवाई सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) से मिले निर्देश के बाद की गई है। ‘द वायर’ ने इस कदम को “प्रेस की स्वतंत्रता का स्पष्ट और अनुचित उल्लंघन” बताते हुए “सेंसरशिप” का गंभीर आरोप लगाया है।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब देश में सूचनाओं के प्रवाह और उनकी विश्वसनीयता को लेकर पहले से ही बहस जारी है। ‘द वायर’ ने अपने दावे के साथ यह भी जोड़ा है कि 8 मई की रात से 9 मई की सुबह तक कई टीवी चैनलों पर भारत-पाकिस्तान संघर्ष से जुड़ी “झूठी खबरें” प्रसारित की गईं, जिनमें भारतीय नौसेना द्वारा कराची बंदरगाह को नष्ट करने जैसी अप्रमाणित बातें शामिल थीं। वेबसाइट ने इस संदर्भ में अपनी आवाज को दबाने के प्रयास पर चिंता व्यक्त की है।

‘द वायर’ का दावा और कानूनी चुनौती का ऐलान
‘द वायर’ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा, “भारत सरकार ने प्रेस की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए thewire.in तक पहुंच को पूरे भारत में ब्लॉक कर दिया है।” वेबसाइट ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के हवाले से बताया कि ब्लॉक करने का आदेश MeitY द्वारा IT अधिनियम, 2000 के तहत जारी किया गया है।

वेबसाइट ने इस कार्रवाई का कड़ा विरोध करते हुए इसे “स्पष्ट और अनुचित सेंसरशिप” करार दिया है। ‘द वायर’ का कहना है, “यह विशेष रूप से ऐसे समय में किया गया है जब भारत को विवेकपूर्ण, सत्यनिष्ठ, निष्पक्ष और तर्कसंगत आवाज़ों व समाचार स्रोतों की सबसे अधिक आवश्यकता है। यही भारत की सबसे बड़ी पूंजी है।” वेबसाइट ने इस “मनमाने और अकारण कदम” को कानूनी रूप से चुनौती देने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का संकल्प लिया है।

संस्थापक संपादक ने की पुष्टि, धीरे-धीरे प्रभावी हो रहा है प्रतिबंध
‘द वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने भी X पर पोस्ट कर इस दावे की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि कम से कम दो प्रमुख इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने अपने ग्राहकों को बताया है कि सरकार के आदेश के कारण ‘द वायर’ की वेबसाइट अब उपलब्ध नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भारत में कुछ उपयोगकर्ता अभी भी साइट तक पहुंच पा रहे हैं, जिससे लगता है कि यह प्रतिबंध धीरे-धीरे प्रभावी हो रहा है।

वरदराजन ने यह महत्वपूर्ण जानकारी भी दी कि VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के माध्यम से ‘द वायर’ की वेबसाइट भारत में और विदेशों में पूरी तरह से सुलभ है। उन्होंने पाठकों से जुड़े रहने का आग्रह करते हुए बहुत जल्द एक ‘मिरर साइट’ (mirror site) लॉन्च करने की भी घोषणा की है ताकि लोग निर्बाध रूप से समाचार पढ़ सकें।

‘द वायर’ का इतिहास और सरकार की ओर से चुप्पी
साल 2015 में सिद्धार्थ वरदराजन, सिद्धार्थ भाटिया और एमके वेणु द्वारा शुरू की गई ‘द वायर’ वेबसाइट ने अपनी शुरुआत से ही स्वतंत्र और खोजी पत्रकारिता पर जोर दिया है। यह वेबसाइट विशेष रूप से नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों और कार्यों की आलोचनात्मक कवरेज के लिए जानी जाती है, जिसने इसे पाठकों के एक विशिष्ट वर्ग के बीच लोकप्रिय बनाया है।
हालांकि, इस रिपोर्ट को लिखे जाने तक, भारत सरकार की ओर से ‘द वायर’ की वेबसाइट को ब्लॉक करने के दावे को लेकर कोई आधिकारिक सार्वजनिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। सरकार की चुप्पी ने इस मामले की गंभीरता को और बढ़ा दिया है।

यह ध्यान देने योग्य है कि अतीत में भी ‘द वायर’ और सरकार के बीच तनावपूर्ण संबंध रहे हैं। 2017 में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे, जय शाह ने ‘द वायर’ के खिलाफ एक आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। यह मामला वेबसाइट द्वारा प्रकाशित एक लेख ‘द गोल्डन टच ऑफ जय अमित शाह’ से जुड़ा था, जिसमें 2014 के बाद जय शाह की कंपनी के कारोबार में कथित रूप से हुई अभूतपूर्व वृद्धि पर सवाल उठाए गए थे।
हाल ही में, रक्षा मंत्रालय ने मीडिया चैनलों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को रक्षा अभियानों से संबंधित live या अटकलों पर आधारित कवरेज से बचने के लिए एक advisory भी जारी की थी, जो मौजूदा संवेदनशील माहौल को दर्शाती है।

प्रेस की स्वतंत्रता और सूचना के अधिकार का सवाल
‘द वायर’ द्वारा अपनी वेबसाइट ब्लॉक किए जाने का दावा, अगर सही है, तो भारत में प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिकों के सूचना प्राप्त करने के अधिकार पर एक गहरा आघात है। स्वतंत्र पत्रकारिता किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र का आधार होती है, जो सत्ता पर सवाल उठाती है और जनता को सूचित करती है। इस तरह के प्रतिबंधों के आरोप चिंता पैदा करते हैं और यह सवाल खड़ा करते हैं कि क्या असहमति की आवाजों को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

‘द वायर’ ने पिछले 10 वर्षों से अपने पाठकों के समर्थन को अपनी ताकत बताया है और इस कठिन समय में भी एकजुटता की अपील की है। उनका नारा ‘सत्यमेव जयते’ (सत्य की ही विजय होती है) इस लड़ाई में उनकी प्रतिबद्धता को स्पष्ट करता है। वेबसाइट ने कहा है कि वे सत्य और सटीक समाचार पाठकों तक पहुंचाना जारी रखेंगे, भले ही इसके लिए कितनी भी चुनौतियां क्यों न आएं। इस घटना ने देश में स्वतंत्र मीडिया के भविष्य और सूचना के मुक्त प्रवाह को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।

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