रायपुर/कोरबा (पब्लिक फोरम)। अप्रैल की चिलचिलाती गर्मी ने छत्तीसगढ़ में जनजीवन को झुलसा दिया है। पारा 42 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है, और इस तपिश में सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है। स्कूलों के खुला रहने से बच्चे और अभिभावक हलकान हैं। गर्मी की मार से बचाने के लिए अभिभावकों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से स्कूलों में अवकाश घोषित करने की गुहार लगाई है। क्या प्रशासन बच्चों की सेहत को प्राथमिकता देगा?
गर्मी की तपिश में बच्चों का हाल बेहाल
सुबह 9 बजे से ही सूरज आग उगलने लगता है। स्कूल जाने वाले बच्चे पसीने से तर-बतर हो रहे हैं। बैग कंधे पर लादकर स्कूल पहुंचने वाले नन्हे-मुन्नों को लू और डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ गया है। कोरबा जिले के एक अभिभावक परेश बैरागी ने बताया, “मेरे बच्चे स्कूल से लौटकर इतना थक जाते हैं कि उन्हें चक्कर आने लगते हैं। गर्मी इतनी है कि बच्चे बीमार पड़ रहे हैं।”
रायपुर की सरकारी और निजी स्कूलों में भी यही हाल है। कई स्कूलों में पंखे और पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। बच्चों को कक्षा में बैठना मुश्किल हो रहा है। डॉ. अनिता शर्मा, बाल रोग विशेषज्ञ, ने चेतावनी दी, “इस मौसम में बच्चों को लू लगने और निर्जलीकरण का खतरा ज्यादा है। स्कूलों को तुरंत अवकाश देना चाहिए।”
अभिभावकों की चिंता, प्रशासन से उम्मीद
अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की सेहत से बड़ा कुछ नहीं। कोरबा दीपका की श्रीमती चंद्रलेखा राज ने भावुक होकर कहा, “हमारे बच्चे हमारा भविष्य हैं। गर्मी की वजह से उनकी तबीयत बिगड़ रही है। प्रशासन को तुरंत स्कूल बंद करने चाहिए।” सामाजिक संगठनों ने भी इस मांग को जोर-शोर से उठाया है। राजधानी रायपुर में ‘आदिनिवासी गण परिषद’ ने प्रशासन को पत्र लिखकर स्कूलों में अवकाश की मांग की है।
प्रशासन का रुख: क्या मिलेगी राहत?
जिला प्रशासन ने अभी तक स्कूलों में छुट्टी की घोषणा नहीं की है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है। कोरबा के जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया, “हम मौसम विभाग की चेतावनी और अभिभावकों की मांग पर विचार कर रहे हैं। जल्द ही उचित निर्णय लिया जाएगा।” दूसरी ओर, मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में गर्मी और बढ़ने की चेतावनी दी है।
गर्मी का कहर: तथ्य और आंकड़े
– तापमान: रायपुर और कोरबा में पारा 42-44 डिग्री सेल्सियस के बीच।
– स्वास्थ्य जोखिम: लू और डिहाइड्रेशन के मामले बढ़े, खासकर बच्चों में।
– स्कूलों की स्थिति: कई स्कूलों में कूलर और पानी की कमी।
– मौसम पूर्वानुमान: अगले 5 दिनों तक गर्मी से राहत की कोई उम्मीद नहीं।
बच्चों का स्वास्थ्य और भविष्य दांव पर
यह सिर्फ गर्मी की बात नहीं, बल्कि हमारे बच्चों के स्वास्थ्य और भविष्य की बात है। एक मां की चिंता, एक पिता का डर, और एक बच्चे की तकलीफ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। क्या हम अपने नौनिहालों को इस तपिश में झुलसने देंगे? प्रशासन से अपील है कि बच्चों की सेहत को प्राथमिकता देते हुए स्कूलों में अवकाश घोषित किया जाए।
अभिभावक और संगठन प्रशासन के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। अगर स्कूल बंद नहीं हुए, तो कई अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से मना कर सकते हैं। यह स्थिति न केवल शिक्षा पर असर डालेगी, बल्कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करेगी।
गर्मी की तपिश ने छत्तीसगढ़ को अपनी चपेट में ले लिया है। अब समय है कि प्रशासन बच्चों की सेहत को ध्यान में रखकर त्वरित कदम उठाए। आखिर, हमारे बच्चे ही देश का भविष्य हैं। उनकी हंसी और सेहत को इस गर्मी से बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।
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