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छत्तीसगढ़: शिक्षकों का महासंग्राम, 23 संगठनों ने युक्तियुक्तकरण के खिलाफ फूंका बिगुल, 28 मई को मंत्रालय का घेराव

रायपुर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के स्कूलों में चल रही युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया ने शिक्षकों के बीच आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। इस नीति के विरोध में प्रदेश के 23 शैक्षणिक संगठनों ने एकजुट होकर ‘शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़’ का गठन किया है और 28 मई को मंत्रालय घेराव का ऐलान किया है। शिक्षकों का कहना है कि यह नीति न केवल शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर रही है, बल्कि बच्चों के भविष्य और शिक्षकों के हितों पर भी गहरा आघात कर रही है।

युक्तियुक्तकरण: शिक्षा के लिए खतरा या सुधार?
प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा लागू की जा रही युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के तहत स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है और शिक्षकों की संख्या में भारी कटौती की जा रही है। छत्तीसगढ़ शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष और शिक्षक साझा मंच के प्रांतीय संचालक डॉ. गिरीश केशकर ने इस नीति को ‘विसंगतिपूर्ण’ करार देते हुए कहा, “एक प्राथमिक स्कूल में केवल एक शिक्षक और एक प्रधान पाठक के भरोसे हम विश्व गुरु बनने का सपना कैसे देख सकते हैं? पांच कक्षाओं के लिए कम से कम पांच शिक्षकों की जरूरत है।”

उन्होंने बताया कि इस नीति के तहत करीब 4,000 स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है, जिससे 35,000 शिक्षक पद समाप्त होने का खतरा है। इससे न केवल शिक्षकों के प्रमोशन के अवसर खत्म हो रहे हैं, बल्कि बीएड और डीएड जैसे योग्यता प्राप्त बेरोजगार युवाओं के लिए नौकरी के अवसर भी नगण्य हो जाएंगे। डॉ. केशकर ने तंज कसते हुए कहा, “एक तरफ तो छत्तीसगढ़ में शराब की दुकानें  बढ़ाई जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर स्कूल बंद करने की जुगत भिड़ाई जा रही है। यह शिक्षा, बच्चों और छत्तीसगढ़ के भविष्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है।”

शिक्षकों की मांग: क्रमोन्नति और पारदर्शी नीति
शिक्षकों की नाराजगी केवल युक्तियुक्तकरण तक सीमित नहीं है। डॉ. केशकर ने बताया कि सोना साहू के क्रमोन्नति मामले में सुप्रीम कोर्ट से जीत के बावजूद सरकार सभी पात्र शिक्षकों के लिए सामान्य क्रमोन्नति आदेश जारी करने में आनाकानी कर रही है। इससे हजारों शिक्षक कोर्ट का रुख करने को मजबूर हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि सरकार ‘टॉप टू बॉटम’ पदोन्नति और खुली ट्रांसफर प्रक्रिया को प्राथमिकता दे, तो युक्तियुक्तकरण की आधी समस्याएं स्वतः हल हो सकती हैं।

मंत्रालय का घेराव: शिक्षकों का अंतिम अल्टीमेटम
शिक्षक साझा मंच ने सप्ताह भर पहले सरकार को अपनी मांगों के लिए ज्ञापन सौंपा था, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब न मिलने पर अब शिक्षकों ने मंत्रालय घेराव का फैसला किया है। कार्यकारी प्रांताध्यक्ष पवन साहू, श्रीमती रीता चौधरी, उप प्रांताध्यक्ष डॉ. आर.पी. कश्यप, प्रांतीय सचिव रूप नारायण पटेल, जिलाध्यक्ष हरिराम पटेल सहित अन्य पदाधिकारियों ने सभी शिक्षकों से 28 मई को तूता, नया रायपुर के धरना स्थल पर एकजुट होने की अपील की है।

बच्चों का भविष्य दांव पर
यह आंदोलन केवल शिक्षकों के हितों तक सीमित नहीं है। एक शिक्षक ने भावुक होकर कहा, “हम बच्चों के भविष्य के लिए लड़ रहे हैं। जब स्कूल ही बंद हो जाएंगे, तो बच्चे कहां पढ़ेंगे? एक शिक्षक पर 50-60 बच्चों की जिम्मेदारी डालना नाइंसाफी है।” इस नीति का असर ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा, जहां पहले से ही संसाधनों की कमी है।

सरकार के सामने चुनौती
शिक्षकों का यह आंदोलन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि युक्तियुक्तकरण जैसी नीतियों को लागू करने से पहले शिक्षकों, अभिभावकों और विशेषज्ञों के साथ व्यापक चर्चा जरूरी है। यदि सरकार इस मुद्दे पर जल्द सकारात्मक कदम नहीं उठाती, तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है।

छत्तीसगढ़ के शिक्षकों का यह आंदोलन केवल उनकी नौकरी या प्रमोशन की लड़ाई नहीं, बल्कि शिक्षा के अधिकार और बच्चों के भविष्य की रक्षा का संघर्ष है। 28 मई को मंत्रालय घेराव के साथ शिक्षक अपनी मांगों को और बुलंद करेंगे। सवाल यह है कि क्या सरकार इस आक्रोश को समझेगी और शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएगी? यह तो समय ही बताएगा।

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