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रोजगार न देने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का एसईसीएल अधिकारियों को अवमानना नोटिस – भूमि अधिग्रहण प्रभावितों का न्याय संघर्ष

बिलासपुर/कोरबा (पब्लिक फोरम)। भूमि अधिग्रहण के पश्चात प्रभावित परिवारों को वादे के अनुसार रोजगार प्रदान नहीं करने के गंभीर मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के वरिष्ठ अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया है। प्रभावित ग्रामीणों की ओर से न्यायालय में दायर याचिका के बाद यह महत्वपूर्ण कार्यवाही की गई है।

पृष्ठभूमि: सराईपाली परियोजना का विवादास्पद भूमि अधिग्रहण
सराईपाली ओपन कास्ट परियोजना के अंतर्गत एसईसीएल द्वारा वर्ष 2007 में ग्राम बुड़बुड़ की कृषि भूमि का अधिग्रहण किया गया था। कंपनी की ओर से भूमि अधिग्रहण के समय प्रभावित किसानों और भूस्वामियों को रोजगार प्रदान करने का स्पष्ट आश्वासन दिया गया था। किंतु बाद में कंपनी प्रबंधन ने अपने वादे से मुकर गए और रोजगार देने से स्पष्ट इनकार कर दिया।

नीतिगत विवाद और छोटे किसानों की समस्या
उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि वर्ष 2012 में कोल इंडिया की नई नीति को जबरदस्ती लागू करते हुए दो एकड़ भूमि में रोजगार का प्रावधान किया गया, जिससे छोटे भूस्वामी और खातेदार वंचित रह गए। यह नीतिगत परिवर्तन स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण और अन्यायपूर्ण था।

इस अन्याय के विरोध में प्रभावित ग्रामीणों ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में न्याय की गुहार लगाई। न्यायालय ने 15 जनवरी 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए एसईसीएल को 45 दिवसों की समयसीमा के भीतर आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया था।

एसईसीएल की उदासीनता और अवमानना याचिका
न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद एसईसीएल प्रबंधन द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। इस स्थिति से क्षुब्ध होकर प्रभावित ग्रामीणों ने न्यायालय की अवमानना के आरोप में एक अलग याचिका दायर की।

29 मई 2025 को हुई सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एसईसील के मुख्य प्रबंध निदेशक हरीश दुहान सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को अवमानना का कारण स्पष्ट करने हेतु नोटिस जारी किया है। इस महत्वपूर्ण मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शिशिर दीक्षित ने कुशल कानूनी पैरवी की।

प्रभावित समुदाय का संघर्ष
सराईपाली परियोजना से प्रभावित एवं ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के क्षेत्रीय अध्यक्ष चंदन सिंह बंजारा ने विस्तार से बताया कि खदान हेतु भूमि अधिग्रहण के समय मध्यप्रदेश पुनर्वास नीति एवं छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति के प्रावधानों के अनुसार रोजगार तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जानी थीं।

माननीय उच्च न्यायालय ने भूविस्थापित परिवारों के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। किंतु एसईसीएल प्रबंधन इस न्यायिक निर्णय को मानने से इनकार कर रहा है, जिसके कारण अवमानना का मामला दर्ज किया गया है।

यह मामला न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में भूमि अधिग्रहण और कॉर्पोरेट जवाबदेही के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण मिसाल स्थापित कर सकता है।

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