गुरूवार, दिसम्बर 5, 2024
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जाति प्रमाणपत्र विवाद: कोरबा महापौर की कुर्सी पर संकट, राजनीतिक भूचाल!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। नगर की राजनीति में भूचाल आ गया है। कारण है कोरबा नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद का जाति प्रमाणपत्र रद्द होना। आदिम जाति विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने यह निर्णय लिया है। इस फैसले ने न केवल श्री प्रसाद के राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है, बल्कि शहर की राजनीति को भी नए मोड़ पर ला खड़ा किया है।

प्रमाणपत्र विवाद की पड़ताल
• 6 दिसंबर 2019 को कोरबा के एसडीएम ने राजकिशोर प्रसाद को ‘कोयरी’ या ‘कोइरी’ जाति का स्थायी ओबीसी प्रमाणपत्र जारी किया था।
• यह जाति बिहार में तो पिछड़ा वर्ग में आती है, लेकिन प्रमाणपत्र छत्तीसगढ़ के हरदी बाजार तहसील से जारी किया गया था।
• जांच में पाया गया कि यह प्रमाणपत्र एक अस्थायी दस्तावेज के आधार पर जारी किया गया था।

समिति का निर्णय
छानबीन समिति ने विजिलेंस सेल की रिपोर्ट, गवाहों के बयान और प्रस्तुत दस्तावेजों की गहन जांच के बाद पाया कि श्री प्रसाद अपनी सामाजिक स्थिति को प्रमाणित करने में विफल रहे। इस आधार पर, उनका जाति प्रमाणपत्र रद्द कर दिया गया।

राजनीतिक प्रभाव
• कांग्रेस के महापौर राजकिशोर प्रसाद का भविष्य अनिश्चित।
• नगर निगम चुनाव में अभी लगभग 5 माह का समय शेष।
• भाजपा इस मौके का लाभ उठाने की कोशिश में।
• नए महापौर की नियुक्ति में 2-3 महीने लग सकते हैं।

आगे की राह
1. श्री प्रसाद का रुख अभी स्पष्ट नहीं।
2. भाजपा महापौर पद पर दावा कर सकती है।
3. कांग्रेस और भाजपा नेता समाधान खोजने में जुटे।
4. संभव है कि राजनीतिक सहमति से श्री प्रसाद को चुनाव आचार संहिता तक पद पर रहने दिया जाए।

यह घटनाक्रम न केवल प्रशासनिक चूक को उजागर करता है, बल्कि आगामी नगर निगम चुनावों से पहले राजनीतिक रणनीतियों का भी संकेत देता है। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में मुड़ता है और कोरबा की राजनीति पर इसका क्या असर पड़ता है।
कलेक्टर कोरबा को निर्देश दिया गया है कि वे छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) अधिनियम 2013 के तहत आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें।
इस प्रकरण ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है: जाति प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई? और अब, इस गलती के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होगी? यह देखना दिलचस्प होगा।

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