गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में महिला समूह से ठगी का मामला: लाखों रुपये की धोखाधड़ी की शिकायत!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के नवापारा गांव की महिलाओं के साथ एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। महिलाओं का आरोप है कि संजीव बरेठ और उनकी पत्नी सुमन बरेठ ने उन्हें झूठे वादों में फंसाकर 40 लाख रुपये से अधिक की ठगी की है। इस घटना ने न केवल आर्थिक संकट पैदा किया है, बल्कि इन गरीब परिवारों की उम्मीदें भी तोड़ दी हैं।
क्या है मामला?
महिला समूहों द्वारा आज “जन-चौपाल” कार्यक्रम में कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को दी गई शिकायत के अनुसार, संजीव बरेठ और उनकी पत्नी ने ग्राम नवापारा के कई महिला समूहों का गठन कर उन्हें विभिन्न बैंकों से लोन दिलवाने का आश्वासन दिया। इन बैंकों में ग्रामीण कुटा बैंक, आर.पी.एल., एच.डी.एफ.सी., सूर्य उदय और अन्नपूर्णा बैंक जैसे संस्थान शामिल थे। कुल 46,31,000 रुपये का ऋण महिला समूहों को दिलवाया गया, जिसमें से 40,12,306 रुपये संजीव बरेठ और उनकी पत्नी ने महिला समूहों से ले लिए।

संजीव कुमार बरेठ ने इन महिलाओं को यह विश्वास दिलाया कि वह इस धनराशि को एक विशेष स्कीम में निवेश करेंगे, जिससे न केवल ऋण की मासिक किश्तें चुकाई जाएंगी बल्कि प्रत्येक महिला को 500 रुपये की अतिरिक्त आय भी होगी। शुरुआत में संजीव बरेठ ने कुछ महीनों तक किश्तें चुकाईं, लेकिन बाद में जब बैंकों ने पुनः किश्तें लेने के लिए महिलाओं से संपर्क किया, तो सच्चाई सामने आई।

महिलाओं को मिला धोखा
जब महिला समूहों ने संजीव बरेठ से संपर्क करने का प्रयास किया, तो उनका फोन बंद पाया गया। परेशान महिलाएं जब उनके घर पहुंची, तो घर पर ताला लटका हुआ था। पड़ोसियों से जानकारी मिलने पर पता चला कि संजीव बरेठ और उनकी पत्नी रातोंरात भाग चुके हैं, और ताला चाबी ग्राम रोगदा के प्रेम लाल बरेठ को सौंप दी गई थी। इस प्रकार, महिलाओं के साथ लगभग 40 लाख रुपये की ठगी की गई।

कलेक्टर से न्याय की गुहार
इन महिलाओं का कहना है कि वे गरीब परिवारों से हैं और उन पर पहले से ही लोन का भारी बोझ है, जिसे चुकाना उनके लिए असंभव है। उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं और इस धोखाधड़ी ने उनके जीवन को संकट में डाल दिया है। अब महिलाएं प्रशासन से गुहार लगा रही हैं कि उनके साथ हुए इस धोखाधड़ी के मामले में संजीव बरेठ और उनकी पत्नी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाए।

इस मामले में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि कैसे एक परिवार ने गरीब और असहाय महिलाओं को झूठे प्रलोभन देकर फंसाया और उनके साथ इस प्रकार की धोखाधड़ी की। यह घटना न केवल कानूनी रूप से गंभीर है, बल्कि नैतिक दृष्टि से भी अत्यधिक निंदनीय है। महिला समूहों का गठन ग्रामीण विकास और सशक्तिकरण का प्रतीक होता है, और ऐसी घटनाएं इन प्रयासों को कमजोर करती हैं।

प्रशासन और कानून व्यवस्था को इस मामले में तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए ताकि आरोपी जल्द से जल्द पकड़े जाएं और पीड़ितों को न्याय मिले। इसके अलावा, इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए जागरूकता अभियान चलाना भी जरूरी है ताकि ग्रामीण महिलाएं भविष्य में ऐसे झूठे वादों का शिकार न बनें।
यह मामला प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को जागरूक किया जाए और उन्हें आर्थिक धोखाधड़ी से बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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