वकीलों के लिए राष्ट्रीय मांग दिवस: 27 जनवरी 2023
नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी. वाई. चंद्रचूड़ ने 19 नवंबर, 2022 को बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक समारोह में बोलते हुए कहा कि: “अगर हम कानूनी पेशे की सूरत चेहरा बदलना चाहते हैं, तो हमें न केवल महिलाओं को, बल्कि वंचितों को भी समान अवसर और पहुंच मुहैया करनी होगी, ताकि आने वाले कल को बेंच ज्यादा विविधता से भरा हो”. यह मुद्दा आइलाज (AILAJ) की प्राथमिक चिंता का विषय रहा है और आइलाज ने इन मुद्दों को बार-बार उठाया है और आगे इसके लिए हम निम्नलिखित मांगों को लेकर *”वकीलों के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए एक महीने का अभियान”* चला रहे हैं:
●1. संघ/राज्य सरकार और बार काउंसिल को तत्काल “यूनिवर्सल एडवोकेट वेलफेयर स्कीम” की घोषणा करनी चाहिए, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
A. पहली बार प्रैक्टिस शुरू करने वाले /महिला/दलित/आदिवासी/पिछड़े समुदाय के वकीलों और जूनियर वकिलों के लिए 3 साल की अवधि के लिए प्रैक्टिस करने के लिए 10,000 का मासिक स्टाइपेंड दिया जाय.
B. मृत वकीलों के आश्रितों के लिए वित्तीय सहायता दी जाय.
C. प्रैक्टिस से सेवानिवृत्त वकीलों के लिए वितीय सहायता के बतौर 7,000/- मासिक पेंशन दिया जाय.
D. वकिलों को दुर्घटनाओं से निपटने के लिये भी वितीय सहायता दी जाय.
E.वकिलों को स्वास्थ्य सेवाओं के लुई वितीय मदत के साथ जीवन बीमा की भी सुविधा दी जाय.
F. पहली बार प्रैक्टिस शुरू करने वाले/ महिला/दलित/आदिवासी/पिछड़े समुदाय के वकीलों के लिए कानून की किताबों और कानूनी संसाधनों की खरीद के लिए और कार्यालय स्थापित करने के लिए 3 लाख रुपये की वितीय सहायता दी जाय.
●2. प्रथम पीढ़ी/महिला/दलित/आदिवासी/पिछड़े समुदाय के वकीलों के साथ-साथ 60 वर्ष से अधिक आयु के वकीलों को प्राथमिकता देते हुए प्रत्येक न्यायालय परिसर में वकीलों के कक्ष स्थापित किए जाएं और वकीलों को आवंटित किए जाएं.
● 3. प्रत्येक न्यायालय परिसर में महिला वकीलों के लिए एक एसोसिएशन हॉल होगा जिसमें क्रेच सुविधाएं, शौचालय, कंप्यूटर सुविधाएं आदि शामिल हैं.
●4. प्रत्येक न्यायालय परिसर में कानून की पुस्तकों और पत्रिकाओं, कंप्यूटर, प्रिंटर आदि से सुसज्जित एक कार्यशील पुस्तकालय की व्यवस्था की जाय.
●5. प्रत्येक न्यायालय परिसर में लैंगिक संवेदनशीलता और यौन उत्पीड़न के विरुद्ध कमिटी का गठन किया जाए.
●6. न्यायपालिका में दलित/महिला/ आदिवासी/पिछड़े समुदाय के वकीलों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण सहित अन्य जरूरी कदम तत्काल उठाया जाय.
●7. बार एसोसिएशन और बार काउंसिल में भी आरक्षण नीति को लागू किया जाय.
●8. पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के बोध हेतु बार काउंसिल से किसी भी लाभ के प्राप्तकर्ताओं की सूची विवरण के साथ अर्धवार्षिक रूप से प्रकाशित की जाय.
●9. बार काउंसिल/एसोसिएशन के सभी कार्यालयों में भारत के संविधान की प्रस्तावना को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए.
● 10. न्यायालयों में कमजोर कामकाजी परिस्थितियों काम करने वाले सभी दैनिक मजदूर व ठेका श्रमिकों को स्थायी कर्मचारियों के रूप में माना जाना चाहिए और उचित और न्यायपूर्ण काम करने की स्थिति मुहैया कराई जानी चाहिए.
11. यह सुनिश्चित किया जाय कि सभी सरकारी लॉ कॉलेजों को समुचित बुनियादी ढांचा, शिक्षण स्टाफ और कानूनी संसाधन उपलब्ध हो और महिलाओं/दलित/आदिवासी/पिछड़े समुदायों/पहली पीढ़ी के कानून के छात्रों के लिए मासिक छात्रवृत्ति और सशुल्क इंटर्नशिप देने की व्यवस्था हो.
कानूनी बिरादरी के लिए अपनी आवाज उठाने का समय आ गया है. आइलाज (AILAJ) सभी वकीलों, कानून के छात्रों और पूरी कानूनी बिरादरी को *”वकीलों के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय अभियान”* की मांगों को सफल बनाने के लिए एकजुट होने का आह्वान करता है!
ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (AILAJ) वकीलों, कानूनी पेशेवरों और कानून के छात्रों का एक संगठन है, जो हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों, विशेष रूप से स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुत्व की रक्षा के लिए प्रयासरत है.
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