रायपुर (पब्लिक फोरम)। जल-जंगल-जमीन और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए तथा आदिवासियों के नैसर्गिक अधिकारों को कुचलकर लागू किये जा रहे कॉर्पोरेटपरस्त विकास के खिलाफ छत्तीसगढ़ किसान सभा द्वारा पूरे प्रदेश में हसदेव और सिलगेर में जारी आंदोलनों के साथ एकजुटता प्रकट की गई।
इस सिलसिले में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति द्वारा आयोजित संकल्प सम्मेलन में हिस्सा लिया तथा सम्मेलन में उपस्थित लोगों को जल-जंगल-जमीन तथा अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने, विकास के नाम पर कांग्रेस-भाजपा की विनाशकारी कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों को मात देने तथा अडानी के उत्पादों का बहिष्कार करने की शपथ दिलाई। अपने संबोधन में उन्होंने हसदेव और सिलगेर में चल रहे संघर्षों को व्यापक बनाने के लिए सभी जनवादी ताकतों, जन संगठनों और जन आंदोलनों की एकजुटता पर बल दिया, ताकि विकास परियोजनाओं के नाम पर बलपूर्वक भूमि अधिग्रहण करने या अवैध रूप से भूमि हड़पने की नीतियों के खिलाफ संघर्ष को तेज किया जा सके। उन्होंने कहा कि जो सरकारें अपने ही बनाये संविधान और कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं, उन सरकारों को इस देश के आदिवासी और नागरिक भी मान्यता देने के लिए तैयार नहीं है। किसान सभा नेता दीपक साहू और अन्य ने यहां वृक्षारोपण कर हसदेव की कटाई के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।
हसदेव में कोयला खनन का विरोध कर रहे स्थानीय समुदायों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा ने अंबिकापुर में एक बड़ा प्रदर्शन किया, जिसमें सैकड़ों लोगों ने हसदेव का विनाश रोकने तथा सिलगेर के आदिवासियों की न्यायोचित मांग पूरी करने की मांग करते हुए विशाल मानव श्रृंखला का निर्माण किया। यहां हुई सभा को छग किसान सभा के महासचिव ऋषि गुप्ता, आदिवासी एकता महासभा के बाल सिंह के साथ सुरेन्द्रलाल सिंह, रामलाल हसदा तथा सी पी शुक्ला आदि ने भी संबोधित किया तथा धरती के तापमान को कम करने की लड़ाई संपूर्ण मानवता की रक्षा की लड़ाई है और पर्यावरण और जैव-विविधता को नष्ट करने वाली नीतियों के खिलाफ व्यापक जनलामबंदी की जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉरपोरेटों की तिजोरियों को भरने के लिए सुनियोजित तरीके से कोयला और बिजली का संकट खड़ा किया जा रहा है और हसदेव के विनाश की लीला रची जा रही है।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के आह्वान पर कोरबा के कई गांवों में एकजुटता प्रदर्शन किए गए, जिनका नेतृत्व जवाहर सिंह कंवर, प्रशांत झा, दामोदर श्याम आदि ने किया। उन्होंने हसदेव अरण्य क्षेत्र में सभी कोयला खनन परियोजनाओं को तत्काल रद्द करने तथा कोल बियरिंग एक्ट, 1957 के तहत ग्राम सभाओं से पूर्व सहमति लिए बिना की गई सभी भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही तुरंत वापस लेने और सभी नए-पुराने भूविस्थापितों को स्थायी रोजगार देने की मांग की। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर खनिज और प्राकृतिक संसाधन बहुत ही सीमित है, इस पर मानव जाति की कई पीढ़ियों का हक़ है और इसलिए केवल कॉरपोरेट मुनाफे के लालच में इनका विनाश नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि पर्यावरण विनाश के साथ-साथ यह मामला स्थानीय समुदायों और आदिवासियों की जीविका और संस्कृति से भी सीधे-सीधे जुड़ता है और किसान सभा इसकी रक्षा के संघर्ष को आगे बढ़ाएगी।
इधर दिल्ली में आयोजित भूमि अधिकार आंदोलन की बैठक में राजधानी रायपुर में हसदेव के मुद्दे पर जुलाई में जन संगठनों का एक बड़ा साझा सम्मेलन आयोजित करने का फैसला किया गया है। इस सम्मेलन के आयोजन की घोषणा पिछले दिनों संयुक्त किसान मोर्चा के नेता तथा अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला ने ‘फ्रेंड्स ऑफ हसदेव’ द्वारा आयोजित एक पत्रकार वार्ता में की थी।
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