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शुक्रवार, जुलाई 25, 2025
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कैग रिपोर्ट ने खोली पोल: मजदूर कल्याण फंड का प्रचार में दुरुपयोग, भाजपा सरकार पर श्रमिक विरोधी होने का आरोप

कांकेर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ में राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन द्वारा भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल पर लगाए जा रहे अनियमितताओं के आरोपों को अब नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से बल मिल गया है। यूनियन लंबे समय से यह आवाज उठा रही थी कि मजदूरों के कल्याण के लिए बने फंड का उपयोग सरकारें अपने राजनीतिक प्रचार और मंत्रियों की छवि चमकाने के लिए कर रही हैं, जिसे हालिया कैग रिपोर्ट ने सही ठहराया है।

गुरुवार को एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए, यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष देवचंद भास्कर और महासचिव ओम प्रकाश देवांगन ने कहा कि वे लगातार इस तथ्य को सामने लाते रहे हैं कि मंडल की राशि केवल पंजीकृत श्रमिकों के कल्याणकारी योजनाओं पर ही खर्च की जानी चाहिए। इसके बावजूद, मंडल के अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर सरकारी प्रचार पर भारी-भरकम राशि खर्च की। इस गैर-कानूनी खर्च का सीधा असर उन हजारों पंजीकृत श्रमिकों पर पड़ा है, जो अपने हक की योजनाओं के लाभ से वंचित हो गए।

सरकारों पर योजनाओं के राजनीतिकरण का आरोप
यूनियन के नेताओं ने कहा कि मजदूरों के अथक संघर्ष के बाद ही निर्माण श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए कुछ कल्याणकारी योजनाएं लागू हो पाई थीं। लेकिन, चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों ही दलों की सरकारों ने इन योजनाओं के पैसे का दुरुपयोग राजनीतिक लाभ के लिए किया। उन्होंने आरोप लगाया कि श्रमिकों के अधिकारों पर हमला करते हुए, उनके कल्याण के लिए निर्धारित फंड को प्रचार-प्रसार पर खर्च किया गया।

भाजपा सरकार की नीतियों पर तीखा प्रहार
यूनियन ने वर्तमान भाजपा सरकार पर मजदूर विरोधी नीतियां अपनाने का गंभीर आरोप लगाया है। नेताओं के अनुसार, सरकार न केवल मौजूदा योजनाओं में कटौती कर रही है, बल्कि पंजीयन प्रक्रिया में भी ऐसे बदलाव कर रही है जिससे वास्तविक मजदूरों को नुकसान हो। उनका कहना है कि “स्वघोषणा” के प्रावधान का लाभ उठाकर ठेकेदारों और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा अपने चहेते गैर-मजदूरों का पंजीयन करवाया जा रहा है, ताकि योजनाओं का लाभ असली हकदारों तक न पहुंचे।

इसके अतिरिक्त, यूनियन ने उस नियम परिवर्तन की भी कड़ी आलोचना की जिसके तहत अब पंजीकृत मजदूरों को योजनाओं का लाभ पाने के लिए तीन महीने के बजाय एक साल का इंतजार करना होगा। यूनियन नेताओं ने इसे “मजदूरों को योजनाओं के लाभ से दूर रखने की साजिश” करार देते हुए कहा कि यह कदम सरकार की मजदूर विरोधी मानसिकता को उजागर करता है।
नेताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “यह सरकार पूरी तरह से बड़े-बड़े ठेकेदारों और पूंजीपतियों के हितों में काम कर रही है और उन्हीं को फायदा पहुंचाने के लिए लगातार मजदूरों के अधिकारों पर कुठाराघात कर रही है।” कैग रिपोर्ट के आने के बाद अब यूनियन इस मुद्दे को और मजबूती से उठाने की तैयारी में है।

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