कोरबा (पब्लिक फोरम)। नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 26, पंडित रविशंकर शुक्ल नगर में एक बार फिर जनता ने अब्दुल रहमान पर अपना भरोसा जताया है। लगातार तीसरी बार चुनाव जीतकर उन्होंने साबित कर दिया कि जनता के दिलों में उनकी पकड़ कितनी मजबूत है। यह जीत सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं, बल्कि जनता के विश्वास और भावनात्मक जुड़ाव की मिसाल है।
निर्दलीय होकर भी जीत का जलवा!
अब्दुल रहमान वार्ड 26 के वह प्रत्याशी हैं, जिन्होंने तीनों चुनाव निर्दलीय लड़ा और हर बार जीत दर्ज की। इस बार भी उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अजय विश्वकर्मा को 418 वोटों से हराकर जीत की हैट्रिक बनाई। यह जीत न सिर्फ उनकी मेहनत और निष्ठा को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि जनता के लिए प्रत्याशी का चरित्र और उसके कार्य सबसे अधिक मायने रखते हैं।
जीत के बाद जनता का भव्य स्वागत
जीत के बाद वार्ड की जनता ने अब्दुल रहमान का भव्य स्वागत किया। कुमारी पटेल और अन्य समर्थकों ने उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट कर बधाई दी। रंग-गुलाल उड़ाए गए, मिठाइयाँ बाँटी गईं और एक-दूसरे को बधाइयाँ दी गईं। यह नज़ारा सिर्फ एक चुनावी जीत का नहीं, बल्कि जनता और उनके नेता के बीच गहरे रिश्ते का प्रतीक था।
तीन बार की जीत, एक ही संदेश: जनता का विश्वास
अब्दुल रहमान ने वर्ष 2014 और 2019 में भी निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा का दामन थामा, लेकिन 2025 के नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने एक बार फिर निर्दलीय रूप में जनता का आशीर्वाद लिया। उनकी यह जीत साबित करती है कि राजनीति में सिर्फ पार्टी नहीं, बल्कि व्यक्ति का चरित्र और जनसेवा भी मायने रखते हैं।
भाजपा प्रत्याशी अजय विश्वकर्मा को हराने के बाद अब्दुल रहमान ने कहा, “यह सिर्फ एक चुनावी परिणाम नहीं, बल्कि जनता के विश्वास की जीत है। यह विकास, सिद्धांत और निष्ठा की जीत है।” उन्होंने वार्डवासियों को उनके समर्थन और आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त किया।
चुनावी परिणाम: संख्या बोलती है!
– अब्दुल रहमान (निर्दलीय) – 1330 वोट
– अजय विश्वकर्मा (भाजपा) – 912 वोट
– रूपेश चंद्रा (कांग्रेस) – 384 वोट
यह परिणाम स्पष्ट करता है कि मेहनत, निष्ठा और जनता के बीच मजबूत पकड़ ही असली जीत की कुंजी होती है। जनता ने अपने नेता को पहचान कर तीसरी बार उन पर भरोसा जताया, जिससे यह चुनाव केवल एक राजनीतिक संघर्ष नहीं, बल्कि जनता और नेतृत्व के बीच अटूट रिश्ते की मिसाल बन गया।
अब्दुल रहमान की यह जीत साबित करती है कि राजनीति में पार्टी से ज्यादा मायने रखता है प्रत्याशी का चरित्र और उसकी जनसेवा। जनता ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि उनका विश्वास ही सबसे बड़ी ताकत होती है। यह जीत न सिर्फ अब्दुल रहमान के लिए, बल्कि जनता के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।
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