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गुरूवार, फ़रवरी 20, 2025
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वार्ड क्रमांक 16 में बंटी सोनी की शानदार जीत: लोकप्रियता के आगे भीतरघातियों की रणनीति हुई विफल

खरसिया में भाजपा को हराने की कोशिश नाकाम, बंटी सोनी ने 130 वोटों से दर्ज की ऐतिहासिक जीत

खरसिया (पब्लिक फोरम)। नगर के सबसे बड़े और सबसे अधिक मतदाताओं वाले वार्ड 16 में हुए चुनाव पर पूरे खरसिया की नजरें टिकी हुई थीं। यह सीट नगर की सबसे चर्चित और हॉट सीट मानी जा रही थी। भाजपा के भीतरघातियों ने पूरा जोर लगाकर अपने ही पार्टी के प्रत्याशियों को हराने की साजिश रची, लेकिन जनता की पसंद और बंटी सोनी की लोकप्रियता के आगे उनकी रणनीति विफल हो गई।

वार्ड 16 में भाजपा के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी कमल गर्ग और पार्षद पद के प्रत्याशी बंटी सोनी के खिलाफ भीतरघातियों ने पूरी ताकत झोंक दी थी। प्रदेश भाजपा में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके पदाधिकारियों, पूर्व पार्षदों और मंडल के पदाधिकारियों ने रणनीतिक रूप से भीतरघात किया। लेकिन युवा कार्यकर्ताओं की मजबूत टीम और जनता के विश्वास के दम पर बंटी सोनी ने शानदार जीत हासिल की।

हालांकि, भीतरघातियों की साजिश कुछ हद तक सफल रही, जिसके चलते अध्यक्ष पद के प्रत्याशी कमल गर्ग को केवल 2 वोटों की मामूली बढ़त से ही संतोष करना पड़ा। लेकिन बंटी सोनी, जो हंसमुख, मृदुभाषी और सामाजिक कार्यों में हमेशा आगे रहने वाले नेता हैं, उन्होंने भीतरघातियों के चक्रव्यूह को अभिमन्यु की तरह भेदकर 130 वोटों से शानदार जीत दर्ज की। यह जीत उनकी चौथी लगातार जीत है, जो उनकी जनसेवा और लोकप्रियता का स्पष्ट प्रमाण है।

बंटी सोनी की इस ऐतिहासिक जीत के बाद विरोधियों के चेहरे मुरझा गए हैं, वहीं भाजपा में भीतरघात करने वालों की साजिशें बेनकाब हो गई हैं। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। अगर समय रहते भीतरघातियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो पार्टी को भविष्य में और बड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

सूत्रों के अनुसार, विधानसभा चुनाव में भी उच्च पदों पर बैठे कुछ नेताओं द्वारा अपने ही प्रत्याशी को हराने के लिए षड्यंत्र रचा गया था। ऐसे नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है, ताकि पार्टी को मजबूत किया जा सके और निष्ठावान कार्यकर्ताओं का मनोबल बना रहे।

बहरहाल, बंटी सोनी की यह जीत न केवल उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जनता केवल काम करने वाले और जनसेवा करने वाले नेताओं को ही स्वीकार करती है। अब देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और भीतरघातियों पर क्या सख्त कदम उठाए जाते हैं।

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