नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। देश की सर्वोच्च अदालत ने बुलडोज़र कार्रवाइयों पर रोक लगाते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना कानून के खिलाफ है। अदालत ने इस तरह की कार्रवाइयों को मनमाना और अनुचित करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन मामलों में आया है जहां कई राज्यों में बुलडोज़र कार्रवाइयों के जरिए लोगों के घरों को गिराया जा रहा था। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि इन कार्रवाइयों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
क्यों है ये फैसला महत्वपूर्ण?
कानून का शासन: यह फैसला कानून के शासन को मजबूत करता है और यह सुनिश्चित करता है कि किसी को भी बिना उचित सुनवाई के सजा नहीं दी जा सकती।
मानवाधिकार: यह फैसला मानवाधिकारों की रक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
न्यायपालिका की भूमिका: सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साबित किया है कि वह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए दृढ़ है।
क्या कहा गया फैसले में?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि:
किसी भी व्यक्ति को बिना दोषी साबित हुए सजा नहीं दी जा सकती।
बुलडोज़र कार्रवाइयां मनमानी और अनुचित हैं।
कानून के अनुसार ही कार्रवाई की जानी चाहिए।
अब आगे क्या होगा?
इस फैसले के बाद कई राज्यों में बुलडोज़र कार्रवाइयां रुक सकती हैं। हालांकि, यह देखना बाकी है कि सरकारें इस फैसले का पालन कैसे करती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इसने न केवल बुलडोज़र कार्रवाइयों पर रोक लगाई है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि कानून के शासन को बनाए रखा जाए।
Recent Comments