कोरबा (पब्लिक फोरम)। केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए नए बजट पर मजदूर संगठन राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन के राज्य कार्यकारी अध्यक्ष सुखरंजन नंदी और जिला अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे दिशाहीन और निराशाजनक बताया, जिसमें आम जनता की बुनियादी समस्याओं के समाधान की कोई दिशा नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बजट से यह स्पष्ट होता है कि मोदी सरकार का मुख्य उद्देश्य केवल अपनी सत्ता को बचाए रखना है।
मजदूर नेताओं ने कहा कि देश के युवाओं के सामने बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या बनी हुई है, और इस बजट में नए रोजगार सृजन की कोई योजना नहीं है। केवल युवाओं को प्रशिक्षण देने की बातें की गई हैं, लेकिन सरकारी विभागों के रिक्त पदों की भर्ती या सार्वजनिक उद्योगों में रोजगार के अवसरों का कोई उल्लेख नहीं है। संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण ने भी इस भयंकर बेरोजगारी की स्थिति को उजागर किया है, जहां हर दो स्नातकों में से एक बेरोजगार है।
वित्त मंत्री के बजट में मनरेगा का कोई जिक्र न होने पर नेताओं ने नाराजगी जताई। उनका कहना है कि मनरेगा में नाम पंजीयन कर काम मांगने वाले बेरोजगारों के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है। आयकर के स्लैब में परिवर्तन कर मध्यमवर्ग और कर्मचारियों को खुश करने की कोशिश की गई है, जबकि वास्तव में सबसे अधिक कर का बोझ गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों पर ही है।
नेताओं ने कहा कि कॉरपोरेट घरानों से कर वसूली की कोई योजना नहीं है, जबकि आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं और महंगाई पर काबू पाने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 4.3% ही खर्च हो रहा है। अगर देश के सबसे धनी वर्ग के करों में मामूली वृद्धि कर दी जाए, तो इन मदों पर दोगुना खर्च किया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय असमानता लैब की रिपोर्ट के अनुसार, 100 करोड़ से अधिक संपत्ति वाले लोगों पर 4% कर लगाकर सरकार अपना राजस्व बढ़ा सकती है। परंतु बजट में उन पर कोई कर नहीं लगाया गया, जिससे उन्हें भारी राहत मिली है। इसका विरोध करते हुए नेताओं ने जनता से केंद्रीय बजट के खिलाफ अभियान चलाने और विरोध कार्यवाही आयोजित करने का आव्हान किया है।
यूनियन नेताओं ने छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बहुल राज्य में आदिवासी और दलितों के विकास के लिए सब प्लान की राशि का बजट में कोई उल्लेख न होने पर सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इससे समाज के पिछड़े तबकों के विकास कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
सत्ता बचाने का बजट: जनता को कोई राहत नहीं, सिर्फ वादों का पुलिंदा – नंदी
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