भिलाई (पब्लिक फोरम)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। यह बजट खाद्य महंगाई, बेरोजगारी, गिरते रुपए और किसान आंदोलनों के बीच आम जनता की उम्मीदों पर पानी फेरने वाला साबित हुआ है। बजट में अमीरों और कॉरपोरेट्स को राहत देकर गरीबों, मजदूरों और किसानों की अनदेखी की गई है, जिससे आर्थिक विषमता बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है।
बजट 2025-26 के मुख्य बिंदु वो नहीं हैं, जिनकी जरूरत देश के 80% आबादी को थी। मध्यम वर्ग को आयकर में मामूली राहत मिली, लेकिन मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी, किसानों के लिए फसल बीमा और गरीबों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं पर खर्च घटा दिया गया। वहीं, कॉरपोरेट टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया, जबकि पिछले साल कंपनियों का मुनाफा 400% तक बढ़ा था।
कहां कटौती, किसको फायदा?
– किसानों के साथ विश्वासघात: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बजट 15% कम किया गया, जबकि कृषि क्षेत्र के लिए आवंटन भी अपर्याप्त है।
– मजदूरों की उपेक्षा: MGNREGA और ग्रामीण सड़क योजना का बजट पिछले साल से 30% कम।
– स्वास्थ्य और शिक्षा पर खतरा: आंगनवाड़ी और मिड-डे मील कार्यकर्ताओं को नियमित करने या न्यूनतम मजदूरी देने की मांग नकार दी गई।
– अमीरों को तोहफा: बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश 100% कर दिया गया, जबकि कॉरपोरेट टैक्स दरें यथावत रखी गईं।
आंकड़े बयान करते सच!
– पिछले साल के बजट का 93,978 करोड़ रुपये खर्च नहीं किया गया।
– प्रधानमंत्री आवास योजना पर केवल 50% बजट ही इस्तेमाल हुआ।
– स्वास्थ्य बजट में 22% की कटौती, जबकि देश में 60% आबादी सरकारी अस्पतालों पर निर्भर है।
बिहार और गरीब राज्यों के साथ अन्याय
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा एक बार फिर टाल दिया गया। “मखाना बोर्ड” जैसी योजनाएँ राज्य के समग्र विकास के लिए नाकाफी हैं। ग्रामीण रोजगार और पेयजल योजनाओं का बजट भी कम होने से पलायन और गरीबी बढ़ने का खतरा है।
कर्ज का बोझ आम जनता पर
बजट में दिखाई गई वृद्धि का 40% हिस्सा सिर्फ कर्ज के ब्याज चुकाने में जाएगा। इसका मतलब है कि आने वाले सालों में GST और इनकम टैक्स के जरिए आम लोगों पर टैक्स का दबाव और बढ़ेगा।
भाकपा माले के राज्य सचिव बृजेंद्र तिवारी का कहना है, *”यह बजट कॉरपोरेट मुनाफे और अमीरों के हितों को बचाने की साजिश है। सरकार ने मजदूरों की मजबूरी और किसानों की आत्महत्याओं को पूरी तरह नजरअंदाज किया है।”*
बजट 2025-26 आर्थिक न्याय के बजाय “अमीरों की तरक्की” का दस्तावेज है। जब तक सरकार कॉरपोरेट टैक्स बढ़ाकर गरीबों के लिए योजनाओं में निवेश नहीं करेगी, तब तक महंगाई और बेरोजगारी का संकट गहराता रहेगा। आम जनता की उम्मीदों पर यह बजट पानी फेरने वाला साबित हुआ है।
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