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मंगलवार, जनवरी 7, 2025
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बस्तर के चर्चित यूट्यूबर, पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या का खुलासा: सेप्टिक टैंक में मिली लाश

बीजापुर (पब्लिक फोरम)। बस्तर के चर्चित यूट्यूबर, पत्रकार और ‘बस्तर जंक्शन’ यूट्यूब चैनल के एडमिन मुकेश चंद्राकर की हत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया है। हत्या के बाद उनका शव एक ठेकेदार के सेप्टिक टैंक में छिपा दिया गया था। यह खुलासा आज बीजापुर पुलिस की गहन जांच के दौरान हुआ।

मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी से लापता थे। परिजनों ने उनके गायब होने की शिकायत बीजापुर पुलिस से दर्ज कराई थी। शुरुआती खोजबीन में कोई सफलता नहीं मिलने के बाद पुलिस ने सुराग जुटाने का काम तेज किया। आज मिले सुरागों के आधार पर बीजापुर में एक ठेकेदार के परिसर में खुदाई की गई, जहां से उनका शव बरामद हुआ।

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बनी मौत का कारण?
पुलिस को आशंका है कि मुकेश की हत्या का कारण सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी रिपोर्टिंग हो सकती है। बताया जा रहा है कि इस मामले में ठेकेदार से उनका विवाद हुआ था। पुलिस ने कहा कि हत्या के पीछे की असली वजह और इसके दोषियों का पता लगाने के लिए जांच जारी है।
बस्तर की आवाज बनने वाले यूट्यूबर
मुकेश चंद्राकर बस्तर के मुद्दों पर खुलकर रिपोर्टिंग करने वाले साहसी पत्रकारों में से एक थे। उनका यूट्यूब चैनल ‘बस्तर जंक्शन’ बस्तर क्षेत्र की जमीनी हकीकत दिखाने के लिए मशहूर था। वे नक्सलवाद, जन अदालतों और स्थानीय समस्याओं पर आधारित वीडियोज बनाकर उन्हें अपने चैनल पर अपलोड करते थे। उनका काम लोगों के बीच काफी चर्चित था।

नक्सलियों के चंगुल से बचाई थी जवान की जान
मुकेश न सिर्फ एक पत्रकार थे, बल्कि मानवता के पक्षधर भी थे। उन्होंने एक बार नक्सलियों के चंगुल से एक जवान को छुड़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके इस प्रयास की पूरे बस्तर में सराहना हुई थी।
स्थानीय पत्रकारिता पर सवालिया निशान
मुकेश की हत्या ने बस्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना न केवल पत्रकारिता पर हमला है, बल्कि उन आवाजों को दबाने की कोशिश है जो भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ खड़ी होती हैं।
पुलिस का बयान और जांच की दिशा
फिलहाल, बीजापुर पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस का कहना है कि हत्या के पीछे की साजिश और दोषियों को जल्द ही बेनकाब किया जाएगा। इस मामले में विस्तृत खुलासा अगले कुछ दिनों में हो सकता है।

मुकेश चंद्राकर जैसे साहसी पत्रकारों की हत्या सिर्फ एक व्यक्ति की जान नहीं लेती, बल्कि समाज की वह आवाज भी दबाने का प्रयास करती है, जो सच को सामने लाने का साहस रखती है। यह घटना पत्रकारिता की दुनिया के लिए एक चेतावनी है कि सच बोलने की कीमत अब भी कितनी भारी हो सकती है।
बस्तर जैसे क्षेत्रों में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे मामलों में दोषियों को कड़ी सजा देकर एक मिसाल पेश करें।

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