भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की दर्दनाक हत्या आज भी देश के लिए एक गहरा जख्म है। 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान हुए आत्मघाती हमले में राजीव गांधी सहित 18 लोगों की जान चली गई। यह घटना भारतीय राजनीति के इतिहास में एक काला अध्याय है।
हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर पेंसिल्वेनिया में एक चुनावी रैली के दौरान हमला हुआ। हालांकि, ट्रंप बाल-बाल बच गए और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां वे खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं।
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राजीव गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि
– लिट्टे (LTTE) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।
– धनु नाम की एक महिला आत्मघाती हमलावर ने यह हमला किया।
– विस्फोट इतना भीषण था कि राजीव गांधी के शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो गए।
– उनकी पहचान केवल उनकी घड़ी और जूते से की जा सकी।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि राजनीति में जान का खतरा हमेशा बना रहता है। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की 2022 में हुई हत्या इसका एक और उदाहरण है।
इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र में नेताओं की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राजनीतिक मतभेदों को हिंसा का रूप न दिया जाए और लोकतांत्रिक प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से चले।
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