भिलाई (पब्लिक फोरम)। केंद्रीय श्रम संगठनों के राष्ट्रव्यापी आह्वान के तहत भिलाई में भी मजदूरों, किसानों और आम जनता ने मोदी सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। सेक्टर-6 में आयोजित इस प्रदर्शन में सीटू, ऐक्टू, एटक, एचएमएस, लोइमू और एसडब्ल्यूयू जैसे संगठनों ने हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने माननीय प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें सरकार की नीतियों के खिलाफ गहरी नाराजगी जताई गई।
प्रदर्शनकारियों ने 2025-26 के केंद्रीय बजट को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। उनका कहना है कि यह बजट कॉरपोरेट जगत के हक में है और मजदूरों, किसानों और आम जनता की उम्मीदों को तोड़ रहा है। बेरोजगारी, महंगाई, कृषि संकट, और सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण जैसे मुद्दों पर सरकार की नीतियों को लेकर गहरी निराशा व्यक्त की गई।
प्रदर्शन में उठाए गए मुद्दे:-
1. बेरोजगारी: देश में बेरोजगारी की स्थिति भयावह होती जा रही है। युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं।
2. महंगाई: आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों का जीवन मुश्किल हो गया है।
3. कृषि संकट: किसानों की हालत दिन-ब-दिन खराब हो रही है। सरकार की नीतियों से किसानों को कोई राहत नहीं मिल रही।
4. शिक्षा और स्वास्थ्य: इन क्षेत्रों में बजट की कमी के कारण जनता को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
5. निजीकरण: सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण से गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों पर बोझ बढ़ रहा है।
प्रदर्शनकारियों की मांगें:-
– मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को तुरंत रद्द किया जाए।
– बेरोजगारों को नियमित रोजगार दिया जाए।
– आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को कम किया जाए।
– सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाई जाए।
– ठेका मजदूरों को स्थाई नौकरी दी जाए।
– कॉरपोरेट टैक्स और संपत्ति टैक्स में बढ़ोतरी की जाए।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए डीवीएस रेड्डी, बृजेंद्र तिवारी, विनोद कुमार सोनी, प्रमोद मिश्रा, एसपी डे, सुरेंद्र मोहंती, टंडन दास, अशोक मिरी और रघुवर दास गोड़ जैसे नेताओं ने सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकार “व्यापार करने में आसानी” के नाम पर कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचा रही है, जबकि आम जनता की अनदेखी की जा रही है।
ज्ञापन में क्या लिखा गया?
ज्ञापन में सरकार से मजदूरों, किसानों और आम जनता की समस्याओं को गंभीरता से लेने की अपील की गई। साथ ही, बजट में इन वर्गों के हितों को प्राथमिकता देने की मांग की गई।
भिलाई का यह प्रदर्शन देश भर में चल रहे आंदोलनों का हिस्सा है। मजदूर, किसान और आम जनता एकजुट होकर सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार उनकी समस्याओं को सुनें और उनके हित में ठोस कदम उठाए।
यह प्रदर्शन न केवल सरकार के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह दिखाता है कि जनता की आवाज को अनसुना नहीं किया जा सकता। अब यह सरकार पर निर्भर है कि वह इन मांगों को कितनी गंभीरता से लेती है।
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