रविवार, जुलाई 13, 2025
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शिक्षक नियुक्ति में अनियमितता पर बड़ी कार्रवाई: चार शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त, नवनियुक्ति पर तत्काल प्रभाव से रोक

युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत शिक्षकों की नियुक्ति पर न्यायिक निर्देश के बाद जिला शिक्षा विभाग का अहम निर्णय

कोरबा (पब्लिक फोरम)। शिक्षा विभाग कोरबा ने शिक्षक नियुक्तियों में हुई प्रशासनिक त्रुटियों को सुधारते हुए एक सख्त और निष्पक्ष कदम उठाया है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के अंतर्गत अन्य विद्यालयों में स्थानांतरित किए गए चार शिक्षकों की नवनियुक्ति को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है।

इन शिक्षकों पर आरोप था कि उन्होंने स्थानांतरण के बाद नवनियुक्त विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण नहीं किया और इस संबंध में न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया गया था। न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बाद जिला युक्तियुक्तकरण समिति ने सभी पक्षों को सुनने के उपरांत यह अनुशासनात्मक कार्यवाही की।

न्यायालय के आदेश का पालन न करने पर हुई कार्रवाई

प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि माननीय न्यायालय ने संबंधित शिक्षकों के द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया था कि यदि कोई शिक्षक युक्तियुक्तकरण के तहत नवनियुक्त विद्यालय में कार्यभार नहीं ग्रहण करता है, तो उसे सेवा से पृथक किया जा सकता है।

इसके बावजूद उक्त चार शिक्षक 30 जून 2025 तक न तो विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कर पाए और न ही युक्तियुक्तकरण आदेश के अनुसार उपस्थित होकर कारण स्पष्ट किया। परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 की धारा 3 के तहत कार्यप्रभावी अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया।

इन शिक्षकों की नियुक्ति हुई निरस्त

क्र./सहायक शिक्षक का नाम/पूर्व संस्था का नाम/नवीन पदस्थापन संस्था

1. श्री अजय कुमार कश्यप प्रा.शा.राँखाशहर, पाली प्रा.शा.लटेर, पोड़ी उपरोड़ा
2. श्री मसर्रत अहमद सिद्दकी प्रा.शा.अमरकटोरा पाली प्रा.शा.दुर्गाटोला, पोड़ी उपरोड़ा
3. श्रीमती पुष्पा कुमारी कंवर प्रा.शा.चाचरियाप, पोड़ी उपरोड़ा प्रा.शा.कुडरी, पोड़ी उपरोड़ा
4. श्रीमती मंजु ध्रुवहरे प्रा.शा.मानिकमुनगर, कोरबा प्रा.शा.कुंभियादर, पोड़ी उपरोड़ा

इस कार्रवाई से स्पष्ट संकेत जाता है कि शिक्षा विभाग अब नियुक्तियों, स्थानांतरणों और पदस्थापन के मामलों में अधिक पारदर्शिता और कठोर अनुशासन सुनिश्चित करने के पक्ष में है। यह कदम न केवल प्रशासनिक अनुशासन को मजबूती देगा, बल्कि विद्यार्थियों के शिक्षा-अधिकार को भी संरक्षित करेगा।

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