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भगत सिंह की शहादत दिवस: 23 मार्च को एक प्रेरणादायक गोष्ठी का आमंत्रण!

भिलाई (पब्लिक फोरम)। शहीद-ए-आजम भगत सिंह के बलिदान को याद करने का समय फिर आ गया है। उनके विचारों और सपनों को आज के संदर्भ में समझने के लिए एक खास आयोजन होने जा रहा है। ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (AICCTU) द्वारा 23 मार्च को भगत सिंह की शहादत दिवस पर एक गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम न सिर्फ उनकी वीरता को श्रद्धांजलि देगा, बल्कि यह भी बताएगा कि उनके विचार आज हमारे लिए कितने प्रासंगिक हैं।

क्या है इस गोष्ठी का मकसद?
इस गोष्ठी का विषय है- “भगत सिंह और हमारा समय”। आज के दौर में जब देश और समाज कई चुनौतियों से जूझ रहा है, भगत सिंह के विचार हमें रास्ता दिखा सकते हैं। केवल 23 साल की उम्र में देश के लिए हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ जाने वाले इस नौजवान की सोच आज भी लाखों लोगों के दिलों में जिंदा है। यह आयोजन हमें उनके बलिदान की गहराई और उनके सपनों को समझने का मौका देगा।

कब और कहां होगा यह आयोजन?
– दिनांक: 23 मार्च 2025, रविवार 
– समय: दोपहर 3:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक 
– स्थान: जुबली पार्क, सेक्टर 6, भिलाई 

यह गोष्ठी भिलाई के खूबसूरत जुबली पार्क में होगी, जहां लोग एक साथ मिलकर भगत सिंह की शहादत को याद करेंगे और उनके विचारों पर चर्चा करेंगे।

क्यों खास है यह आयोजन?
भगत सिंह सिर्फ एक क्रांतिकारी नहीं थे, वे एक विचारक भी थे। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन उनका सपना सिर्फ आजादी तक सीमित नहीं था। वे एक ऐसे समाज की कल्पना करते थे जहां हर इंसान को बराबरी और सम्मान मिले। इस गोष्ठी में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आज के समय में उनके विचार कितने जरूरी हैं। चाहे वह सामाजिक न्याय की बात हो या युवाओं को प्रेरणा देने की, भगत सिंह का हर शब्द आज भी हमें झकझोरता है।

आमंत्रण जो दिल को छू ले!
AICCTU के छत्तीसगढ़ प्रभारी बृजेंद्र तिवारी ने सभी से इस गोष्ठी में शामिल होने की अपील की है। उनका कहना है, “भगत सिंह का बलिदान हमारी धरोहर है। यह आयोजन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक संकल्प है कि हम उनके सपनों को आगे बढ़ाएंगे। आप सभी से निवेदन है कि इस खास मौके पर हमारा साथ दें।” यह निमंत्रण हर उस शख्स के लिए है जो भगत सिंह के बलिदान को दिल से सम्मान देता है।

यह गोष्ठी न सिर्फ भगत सिंह को याद करने का मौका है, बल्कि यह सोचने का भी अवसर है कि हम अपने समय की चुनौतियों से कैसे निपट सकते हैं। उनके विचार आज भी हमें हिम्मत और हौसला देते हैं। तो आइए, जुबली पार्क में 23 मार्च को दोपहर 3 बजे मिलते हैं।

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