भारत में समाजवाद के अग्रदूत, उनकी विरासत और आज की चुनौतियां
धमतरी (पब्लिक फोरम)। भगत सिंह फांसी के ठीक पहले लेनिन को पढ़ रहे थे, जिन्होंने रूस को सोवियत संघ में बदलकर दुनिया में पहली मजदूर-किसान सत्ता की स्थापना की थी। सोवियत संघ की स्थापना ने पूरी दुनिया के मेहनतकशों और उत्पीड़ितों में यह विश्वास जगाया था कि साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़कर न केवल स्वतंत्र हुआ जा सकता है, बल्कि वर्गविहीन समाज के निर्माण के जरिए मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण पर भी रोक लगाई जा सकती है। समाजवाद में ही देश के संसाधनों का उपयोग समाज के लिए संभव है, जिससे मानवता को बेरोजगारी, गरीबी और अशिक्षा जैसी समस्याओं से मुक्त किया जा सकता है। यही कारण है कि सोवियत संघ विकास की दौड़ में अमेरिका से आगे निकल गया था और आज चीन प्रगति के हर मानक पर अमेरिका को चुनौती दे रहा है तथा उसकी दबंगई का मुकाबला कर रहा है।
उक्त बातें छत्तीसगढ़ किसान सभा के उपाध्यक्ष संजय पराते ने 23 मार्च को शहीद दिवस के अवसर पर धमतरी में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए कहीं। धमतरी शहर के मकई गार्डन में इस सभा का आयोजन राग रंग अकादमी, दलित साहित्य मंच, सीटू और विभिन्न नागरिक संगठनों तथा प्रगतिशील-जनवादी सोच रखने वाले व्यक्तियों की पहल पर किया गया था।
सभा को संबोधित करते हुए किसान सभा नेता ने कहा कि भगत सिंह भारत में समाजवाद के कल्पनाकार थे। 23-24 साल के भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार आज भी इस देश की युवा पीढ़ी और मेहनतकशों को इसलिए आकर्षित करते हैं, क्योंकि वे समाज में आमूलचूल परिवर्तन लाना चाहते थे और मार्क्सवाद-लेनिनवाद की विचारधारा उनकी बुनियाद थी। यही विचारधारा मानवता को शोषण से मुक्त कर सकती है और इसी की रोशनी में इस देश में वामपंथी ताकतें एक जनपक्षधर विकल्प के साथ सांप्रदायिक, तानाशाही और फासीवादी ताकतों से लड़ रही हैं।

किसान नेता पराते ने कहा कि आज जिस संकट का सामना हम कर रहे हैं, उसका कारण यह है कि हमारे देश को मिली राजनीतिक आजादी को आर्थिक आजादी और सामाजिक न्याय की ओर आगे नहीं बढ़ाया जा सका। इसके कारण सांप्रदायिक और जातिवादी ताकतों को पैर पसारने का मौका मिला, जिसके खतरों के बारे में भगत सिंह ने पहले ही चेतावनी दी थी। केंद्र में बैठी मोदी सरकार जिस तरह नफरत की राजनीति कर रही है, हमारे संविधान के मूल्यों पर हमला कर रही है और एक धर्मनिरपेक्ष देश को मनुवाद के आधार पर चलने वाले हिंदू राष्ट्र में तब्दील करने की मुहिम चला रही है, उससे निपटना ही भगत सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि देना होगा। पराते ने जोर देकर कहा कि भगत सिंह को आंबेडकर से जोड़ना होगा, ताकि “जय भीम, लाल सलाम” के नारे को “इंकलाब जिंदाबाद” की हकीकत में बदला जा सके।
इस कार्यक्रम का संचालन जी. आर. बंजारे ‘ज्वाला’ ने किया। सभा को कार्यक्रम के संयोजक सत्यवान यादव, सीटू नेता समीर कुरेशी सहित प्रो. ए. मुरारी दास, दूजराम कोशिक, मदन यदु, गोपाल कामडे, जवाहर शर्मा, गगन कुंभकार आदि ने भी संबोधित किया। राग रंग अकादमी के भूषण पटेल, श्रीमती तीजन पटेल और उनके साथियों ने देशभक्ति गीत पेश कर कार्यक्रम में समां बांध दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत में सभा में उपस्थित सभी लोगों ने तीनों शहीदों की छवियों पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनकी लड़ाई को आगे जारी रखने का संकल्प लिया।
भाजपाई निगम ने भगत सिंह को जब्त करने की कोशिश की: इस श्रद्धांजलि सभा के संबंध में गार्डन में भगत सिंह के चित्रों के साथ लगाए गए पोस्टरों को भाजपा नियंत्रित नगर निगम ने जब्त कर कार्यक्रम को बाधित करने की कोशिश की। आयोजकों ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है।
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