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गुरूवार, अप्रैल 10, 2025
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तिजिमाली की जंग: वेदांता के खिलाफ आदिवासियों का संघर्ष और कार्तिक नायक की रिहाई की कहानी!

रायगड़ा/कालाहांडी (पब्लिक फोरम)। दक्षिण ओडिशा के रायगड़ा और कालाहांडी जिलों में बसी तिजिमाली पहाड़ियों पर एक बार फिर जंग छिड़ी है। यह जंग है प्रकृति, पहाड़, जंगल, जमीन, संस्कृति और अपने अधिकारों को कॉर्पोरेटी लूट से बचाने की। वेदांता लिमिटेड यहाँ अपने एल्युमिनियम फैक्ट्री के लिए बॉक्साइट खनन शुरू करना चाहता है, लेकिन स्थानीय आदिवासी और ग्रामीण इसके खिलाफ डटकर खड़े हैं। इस संघर्ष के नायक कार्तिक नायक हाल ही में जेल से रिहा हुए हैं, जिसने इस आंदोलन को और मजबूती दी है। उनकी कहानी न सिर्फ हिम्मत की मिसाल है, बल्कि एक ऐसी भावनात्मक अपील भी, जो हर इंसान के दिल को छूती है।

कार्तिक नायक की रिहाई: आंदोलन को नई ताकत
30 साल के कार्तिक नायक को 19 सितंबर 2024 को काशीपुर पुलिस ने बैंक से निकलते वक्त हिरासत में लिया था। सुबह 11:30 बजे शुरू हुई यह घटना उस वक्त खत्म हुई, जब हजारों ग्रामीणों ने पुलिस स्टेशन तक मार्च निकाला और उनकी रिहाई की मांग की। पुलिस ने पहले उन्हें काशीपुर जेएमएफसी कोर्ट ले जाकर रायगड़ा उप-जेल भेजा, लेकिन जनता के गुस्से और एकजुटता के आगे झुकना पड़ा। उसी दिन देर शाम कार्तिक रिहा हुए। प्रशासन ने वादा किया कि तिजिमाली के लोगों पर कोई और झूठा केस नहीं लगेगा, लेकिन रात होते-होते 200 ग्रामीणों पर नई एफआईआर दर्ज कर दी गई। यह दोहरा चेहरा जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा था।

वेदांता का दांव और जनता का जवाब
वेदांता लिमिटेड तिजिमाली और सिजिमाली पहाड़ियों में बॉक्साइट खनन के लिए जोर लगा रहा है। कंपनी का दावा है कि इससे इलाके में रोजगार बढ़ेगा। लेकिन आदिवासी कार्यकर्ता प्रफूल सुनानी का आरोप है कि वेदांता बाहर से लोगों को लाकर अपने पक्ष में प्रदर्शन करवा रही है। दूसरी ओर, कंपनी की दो ग्राम सभाएं पहले ही नाकाम हो चुकी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि खनन से उनकी जमीन, जंगल, नदियाँ और आजीविका खतरे में पड़ जाएगी। सबसे बड़ी बात, यह इलाका उनके पवित्र देवता तिजिराजा का निवास है, जिसे वे किसी कीमत पर नहीं खोना चाहते।

कार्तिक की गिरफ्तारी: टूटा नहीं, मजबूत हुआ आंदोलन
प्रफूल सुनानी बताते हैं कि कार्तिक की गिरफ्तारी आंदोलन को कमजोर करने की साजिश थी। लेकिन यह दांव उल्टा पड़ गया। जेल से निकलते ही कार्तिक ने कहा, “हम अपने पहाड़ और जंगल बचाने के लिए जेल जाएंगे, जान भी देंगे।” उन्होंने लोगों से शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीके से संघर्ष जारी रखने की अपील की। कार्तिक की आवाज में दर्द है, लेकिन हौसला अडिग। उनका कहना है, “जब तक संविधान जिंदा है, हमारा हक मांगते रहेंगे।”

संविधान का उल्लंघन और सरकार पर सवाल
तिजिमाली, कुत्रुमाली और माझिंगमाली का इलाका संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत आता है। यहाँ मुख्य रूप से आदिवासी और दलित रहते हैं। नियम कहता है कि खनन जैसे फैसलों में स्थानीय लोगों की सहमति जरूरी है। लेकिन वेदांता और अडानी समूह को बॉक्साइट भंडार पट्टे पर देते वक्त उनकी राय तक नहीं ली गई। मानवाधिकार संगठन, ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों ने ओडिशा सरकार पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि सरकार खनन कंपनियों के इशारे पर चल रही है और लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ा रही है।

ग्रामीणों का दर्द, संघर्ष और एकजुटता
पिछले डेढ़ साल से तिजिमाली के लोग एकजुट होकर लड़ रहे हैं। सितंबर 2023 में दो पर्यावरण सुनवाइयों में उन्होंने खनन के खतरों को उजागर किया। 30 अगस्त से 4 सितंबर 2024 तक काशीपुर और थुआमाल रामपुर के 10 गाँवों में ग्राम सभाओं ने प्रशासन की फर्जी सभाओं को खारिज कर दिया। 8 दिसंबर 2023 को भारी पुलिस बल और कंपनी कर्मियों की मौजूदगी में हुई सभा को ग्रामीणों ने नाजायज बताया और इसकी शिकायत दर्ज की। गणतंत्र दिवस 2024 पर राष्ट्रपति को भेजी अपील भी उनकी हिम्मत की गवाही देती है।

9 महीने बाद एफआईआर और मैत्री का खेल
12 जनवरी 2024 की एक घटना के आधार पर वेदांता की सहयोगी कंपनी मैत्री ने एफआईआर दर्ज की थी। दावा था कि 40 लोगों ने उनके कर्मियों पर हमला किया। इसमें कार्तिक नायक का नाम भी था। पुलिस ने 9 महीने बाद कार्रवाई की। “मां माटी माली सुरक्षा मंच” के सदस्यों का कहना है कि यह विरोध को दबाने की चाल थी। पिछले साल मैत्री ने गाँवों में घूमकर ग्रामीणों की जानकारी जुटाई, जिसे लोगों ने साजिश करार दिया।

अब आगे क्या?
कार्तिक नायक की रिहाई इस संघर्ष में एक नया मोड़ है। उनका संदेश साफ है- यह लड़ाई सिर्फ जमीन की नहीं, बल्कि पहचान, संस्कृति और हक की है। तिजिमाली के लोग अपने पवित्र पहाड़ और जंगल बचाने के लिए एकजुट हैं। लेकिन प्रशासन का दमन और कंपनियों का दबाव बढ़ता जा रहा है। सवाल यह है कि क्या सरकार संविधान का सम्मान करेगी या कॉरपोरेट हितों के आगे झुक जाएगी? यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है।

तिजिमाली ओडिशा में वेदांता के खनन प्लान के खिलाफ ग्रामीणों का आंदोलन तेज है। कार्तिक नायक की गिरफ्तारी और रिहाई ने इसे नई ताकत दी। लोग अपने अधिकारों और प्रकृति के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार और पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं। यह एक भावनात्मक, मानवीय अधिकार और संवैधानिक मूल्यों की जंग है, जो हर भारतीय को सोचने पर मजबूर करती है।

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