नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। 10 मार्च 2023 को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने “भारत में विदेशी वकीलों और विदेशी लॉ फर्मों के पंजीकरण और नियमन के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम, 2022” जारी किया है जिसमे विदेशी वकीलों और कानून फर्मों को विदेशी कानून, अंतराष्ट्रीय कानूनी मामलों और मध्यस्थता जैसे क्षेत्रों में प्रैक्टिस करने की इजाजत दी गयी है। इस तरह से प्रैक्टिस करने की छूट का विरोध करने के अपने पिछले रवैये से बीसीआई की यह अचानक पलटी देश भर वकीलों के किसी भी बॉडी के बिना मशवरा के बिना किया गया है।
यह भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत व्यापार और कानूनी सेवा क्षेत्र में हुई वार्ता के संदर्भ में किया गया है जिसमे भारतीय कानूनी सेवा क्षेत्र सहित अन्य “सेवाओं” और “व्यापार” में प्रतिबंधों को हटाना शामिल है। बीसीआई द्वारा यह कदम कानूनी क्षेत्र के उदारीकरण का पहला कदम हैं, जिसके दूरगामी परिणामों को कानूनी विकास के नाम पर जानबूझ कर कम करके आंका जा रहा है. हमें यह बात जोड़नी चाहिए कि बीसीआई ने वकीलों द्वारा उठाई जा रही चिंताओं को दूर करने के बजाय इन नियमों को लाकर साफतौर अपनी आपत्तिजनक प्राथमिकताओं और उससे जुड़े हितों को जाहिर किया है।
आज उच्च न्यायालयों के लगभग 80% अधिवक्ता दो साल तक के प्रैक्टिस अनुभव के साथ केवल 5,000 से 15,000 रुपये मासिक कमा पाते हैं. जिलों में तो वकिलों की आय और भी कम है। दलित, आदिवासी और अन्य सामाजिक रूप से वंचित वर्गों की महिला अधिवक्ताओं और अधिवक्ताओं को अवसरों की कमी और भेदभाव का सामना करना पड़ता है और यह न्यायपालिका में उच्च जातियों और पुरुषों का वर्चस्व से जाहिर होता है।
आइलाज ने इस मुद्दे के अलावा अन्य मुद्दों को लेकर जनवरी 2023 में “वकीलों के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए अभियान” शुरू किया था जो देश भर के विभिन्न राज्यों में हुआ. विभिन्न मांगों को उठाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश और बीसीआई को रिप्रजेंटेशन दिया गया. जूनियर वकिलों, पहली पीढ़ी के वकीलों, महिला, दलितों, आदिवासियों और अन्य सामाजिक रूप से वंचित वर्गों के वकीलों के साथ भेदभाव और उनके बिगड़ते हालात को देखते हुए हमने वित्तीय मदत सहित इस बारे में एक व्यापक कल्याणकारी योजना तैयार करने और कानूनी बिरादरी की हिफाजत की जरूरत के लिए बीसीआई से मांग की थी।
हमने यह भी मांग की कि हर अदालत में “लैंगिक संवेदीकरण और यौन उत्पीड़न के खिलाफ कमिटी” का गठन किया जाए. साथ ही हमने यह भी मांग उठायी कि हत्या,शारीरिक हमले और पुलिस व अन्य राज्य एजेंसियां द्वारा अवैध गिरफ्तारी और धमकियों के बढ़ते मामलों के मद्देनजर एक अधिवक्ता संरक्षण कानून बनाया जाए। देश भर के अधिकांश वकीलों के रोजाना के अहम मुद्दों की मांग पर बीसीआई ने कोई जबाब तक नही दिया है। इस नजरिये से भारतीय कानूनी क्षेत्र में विदेशी वकीलों/फर्मों को प्रैक्टिस देने की अनुमति जाहिर तौर पर आपत्तिजनक और गलत प्राथमिकताओं का मामला है।
वास्तव में ये नियम बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम बार काउंसिल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ से भी ज्यादा है. ए.के.बालाजी व अन्य मामले [(2018) 5 SCC 379] में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विदेशी लॉ फर्म/कंपनियां या विदेशी वकील मुकदमेबाजी या गैर-मुकदमेबाजी पक्ष से भारत में कानून की प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं. उच्चतम न्यायालय ने हालांकि स्पष्ट किया था कि विदेशी कानून फर्मों या विदेशी वकीलों पर विदेशी कानून के संबंध में भारत में अपने मुवक्किलों को कानूनी सलाह देने के उद्देश्य से “फ्लाई इन और फ्लाई आउट” आधार पर अस्थायी अवधि के लिए कानून की अपनी प्रणाली या विविध अंतरराष्ट्रीय कानूनी मुद्दों पर जिसके बारे में बार काउंसिल ऑफ इंडिया या भारत संघ उचित नियम बनाने के लिए स्वतंत्र होगा, भारत आने पर कोई रोक नहीं है।
बीसीआई के नए नियम अब विदेशी वकीलों और कानून फर्मों को गैर-मुकदमे वाले मामलों में प्रैक्टिस करने की अनुमति देते हैं. एक विदेशी वकील या विदेशी लॉ फर्म द्वारा कानूनी प्रैक्टिस के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मापदंड निर्धारित किए जाएंगे और यदि आवश्यकता हो, तो इस बारे में बार काउंसिल ऑफ इंडिया, सरकार, कानून और न्याय मंत्रालय से परामर्श भी कर सकती है। ऐसे अधिवक्ताओं और फर्मों को अधिकरणों और अन्य वैधानिक या नियामक प्राधिकरणों सहित ज्यूडिशियल फोरम में पेशी प्रतिबंधित होगी, लेकिन यह अन्य बड़े दायरों में प्रैक्टिस की छूट रहेगी।
इनमें पारस्परिक आधार पर लेन-देन संबंधी कार्य/कॉर्पोरेट कार्य, देश के कानूनों से संबंधित कार्य या सलाह देना; किसी भी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता मामले में किसी विदेशी देश के पते वाले या प्रमुख कार्यालय या प्रधान कार्यालय वाले लोगों या निकायों को कानूनी सेवाएं वगैरह प्रदान करना है. इसके अलावा नए नियम ऐसे वकीलों/फर्मों को कानूनी कार्यालय खोलने, विदेशी वकीलों के रूप में पंजीकृत भारतीय वकिलों या भारतीय कानूनों के संबंध में भारतीय अधिवक्ताओं की कानूनी विशेषज्ञता प्राप्त करने और एक या एक के साथ साझेदारी करने के लिए व्यक्तियों/निकायों का प्रतिनिधित्व करने की भी अनुमति देते हैं। इन नियमों के तहत पंजीकृत विदेशी वकीलों/फर्मों से भारतीय वकीलों को भी साझेदारी करने की अनुमति है।
बीसीआई के नए नियम विदेशी वकीलों के लिए पंजीकरण शुल्क 25,000 अमेरिकी डॉलर और लॉ फर्म या एलएलपी के लिए 50,000 अमेरिकी डॉलर और नवीकरण के लिए वकील के लिए 10,000 अमेरिकी डॉलर और कानूनी फर्मों के लिए 20,000 अमेरिकी डॉलर अनिवार्य करता है. इसके अलावा आवेदन शुल्क के साथ व्यक्तिगत वकीलों के लिए 15,000 अमेरिकी डॉलर और कानूनी फर्मों के लिए 40,000 अमेरिकी डॉलर की सिक्योरिटी जमा करनी होगी।
विदेशी वकीलों और कानून फर्मों के प्रवेश का लगातार विरोध करने वाली बीसीआई की यह अचानक पलटी क्यों? एफटीए के लिए चल रही वार्ताओं के तहत भारतीय कानूनी सेवा क्षेत्र को विदेशी सेवा प्रदाताओं के लिए मुहैया कराना एक अहम हिस्सा है. अन्य सेवा क्षेत्र के अनुभवों से यह काफी हद तक निश्चित है कि यह कानूनी सेवा क्षेत्र को उदार बनाने की लंबी प्रक्रिया का पहला कदम है. बीसीआई ने ब्रिटेन और भारत के बीच एफटीए की खातिर भारतीय कानूनी बिरादरी के हितों की बलि देकर अपनी आज़ादी को गिरवी रख दिया है और मोदी सरकार का कठपुतली बन गया है।
यह तर्क दिया जा रहा है कि यह भारतीय कानूनी सेवा क्षेत्र में विदेशी वकीलों/फर्मों का प्रवेश प्रतिबंधित है और पारस्परिकता के आधार पर है. यह सिर्फ इस नए नियम से कानूनी बिरादरी को लगने वाले बड़े झटके की असलियत को छुपाने का तर्क है. यह साफतौर से जाहिर है कि विदेशी वकिलों/फर्मों को नियंत्रित करने की बजाय उनके लिए चरणबद्ध रूप से पूरा रास्ता बनाया जा रहा है.कई सवाल अनुत्तरित हैं। समाज की ढांचागत सामाजिक और आर्थिक वास्तविकताओं के कारण पहले से ही बुरी हालात में रहने वाले अधिकांश भारतीय वकीलों का क्या होगा?
क्या देश की छोटी और मझोली लॉ फर्म विदेशी फर्मों से मुकाबला कर पाएंगी? क्या विदेशी वकीलों को एआईबीई जैसी योग्यता परीक्षा के बिना प्रैक्टिस करने की अनुमति दी जाएगी? कानूनी बिरादरी से बिना किसी पूर्व परामर्श के इन नियमों को लाने की इतनी जल्दबाजी क्या थी? बीसीआई द्वारा भारतीय कानूनी सेवा क्षेत्र को उदार बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने से पहले इन सब सवालों का जबाब देना होगा।
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