गुरूवार, दिसम्बर 12, 2024
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बांस की टोकरी नहीं बिकती, लेकिन ‘महतारी वंदन योजना’ बनी सुनिता की ताकत

विशेष पिछड़ी जनजाति की सुनिता की संघर्ष गाथा: बांस से बनी टोकरियों की कमाई और सरकारी योजना की मदद से चलता घर

कोरबा (पब्लिक फोरम)। पाली विकासखंड के ग्राम डूमरकछार की रहने वाली बिरहोर जनजाति की सुनिता बाई एक संघर्षमय जीवन जी रही हैं। परंपरागत रूप से बांस की टोकरियां, सूपा, पर्रा और दौरी जैसी घरेलू सामग्रियां बनाने वाली सुनिता का परिवार इन्हीं वस्तुओं की बिक्री से अपना गुजारा करता है। लेकिन बाजार में इन सामग्रियों की अनियमित मांग और कभी-कभी न बिक पाने की स्थिति ने सुनिता को आर्थिक तंगी के लंबे दौर से गुजरने पर मजबूर किया था। 

हालांकि, छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई ‘महतारी वंदन योजना’ सुनिता के लिए वरदान साबित हुई। इस योजना के तहत हर महीने सुनिता के बैंक खाते में एक हजार रुपये की राशि जमा होती है। यह छोटी-सी मदद उनके लिए बड़ी राहत बन गई है, जिससे उनके घर का खर्च सुचारू रूप से चल रहा है। 

बांस के सामान से जुड़े संघर्ष

सुनिता बताती हैं कि बांस से बनी सामग्री तैयार करने में समय और मेहनत लगती है। हालांकि, ग्राहकों के मोल-भाव और बाजार की स्थिति के कारण हर दिन इनका बिकना संभव नहीं होता। “बांस लाकर घरेलू सामान बनाते हैं, लेकिन कभी बाजार में बिक्री होती है, तो कभी बिल्कुल नहीं। ऐसे में पैसे की कमी से घर चलाना मुश्किल हो जाता था,” सुनिता ने अपनी तकलीफों को साझा किया। 
उनके पति भी इस काम में उनकी मदद करते हैं। लेकिन सीमित आय और अनिश्चित बिक्री के कारण सुनिता के लिए अपने परिवार का भरण-पोषण करना चुनौतीपूर्ण था।
जब ‘महतारी वंदन योजना’ शुरू हुई, तो सुनिता की कई समस्याएं हल हो गईं। वह कहती हैं, “पहले कभी मेरे हाथ में एक साथ हजार रुपये नहीं आते थे। अब हर महीने यह राशि मिलती है, जिससे घर का राशन और बच्चों की जरूरतें पूरी हो जाती हैं।” 

सरकार द्वारा बीपीएल राशन कार्ड के तहत मुफ्त अनाज मिलने से भी परिवार का आर्थिक बोझ कुछ कम हुआ है। सुनिता ने इस योजना के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया और कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की यह पहल उनके जीवन को बेहतर बना रही है। 
इस योजना का लाभ केवल सुनिता तक सीमित नहीं है। सरकार की इस पहल ने कई आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद की है। सुनिता कहती हैं, “महतारी वंदन योजना न केवल आर्थिक मदद देती है, बल्कि हमें आत्मसम्मान और भविष्य के प्रति आशा भी देती है।” 

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