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गुरूवार, फ़रवरी 6, 2025
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बलौदा बाजार हिंसा: न्याय की मांग पर 21 जुलाई को बिलासपुर में एकजुट होंगे समाज के सभी वर्ग!

बिलासपुर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में हुई हालिया घटनाओं ने प्रदेश भर में हलचल मचा दी है। निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी और पुलिस की कथित बर्बरता के विरोध में विभिन्न समाज के लोग एकजुट होकर न्याय की मांग कर रहे हैं। इस संदर्भ में 21 जुलाई 2024 को बिलासपुर के महंत बाड़ा, जरहाभाठा में एक महत्वपूर्ण प्रदेश स्तरीय बैठक का आयोजन किया जा रहा है।

बैठक का मुख्य उद्देश्य आंदोलनकारियों की निःशर्त रिहाई की मांग को मजबूती से उठाना है। एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के सभी सामाजिक और शासकीय संगठनों के प्रमुखों, पदाधिकारियों और आम नागरिकों की उपस्थिति अनिवार्य और प्रार्थनीय बताई गई है।
बैठक के प्रमुख बिंदु
1. राजधानी रायपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आंदोलन की औपचारिक घोषणा।
2. निर्दोष लोगों की न्यायिक सहायता के लिए वकीलों की एक विशेषज्ञ पैनल के साथ विस्तृत चर्चा।
3. सतनामी समाज और महासंघ द्वारा पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की चेतावनी।

एससी, एसटी, ओबीसी एंड माइनॉरिटी महासंघ के प्रमुख और सतनामी समाज छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश दिवाकर ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, “अगर निर्दोष लोगों को रिहा नहीं किया गया, तो हम प्रदेश के हर कोने में ‘जेल भरो’ आंदोलन शुरू करेंगे। हमारे लोग अपने परिवारों के साथ गिरफ्तारी देंगे।”
यह आंदोलन पिछले माह गिरौधपुरी धाम में हुई एक घटना से जुड़ा है, जहां सतनामी समाज के ऐतिहासिक स्थल पर स्थित जय स्तंभ को क्षतिग्रस्त किया गया था। इसके विरोध में पूरे प्रदेश में धरना-प्रदर्शन किए गए थे। 10 जून को बलौदा बाजार में हुए प्रदेश स्तरीय शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा की जांच की मांग भी की जा रही है।
दिवाकर ने आरोप लगाया कि कुछ असामाजिक तत्वों ने सतनामी समाज को बदनाम करने के लिए सुनियोजित ढंग से इस घटना को अंजाम दिया है। उन्होंने मांग की है कि दोषियों को जल्द से जल्द पकड़कर सख्त सजा दी जाए और निर्दोष लोगों को तत्काल रिहा किया जाए।

इस आंदोलन में विभिन्न समाजों और वर्गों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जिनमें अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के नेता प्रमुख हैं। महिला नेतृत्व की भी सक्रिय भागीदारी इस आंदोलन की एक विशेषता है।

यह बैठक छत्तीसगढ़ में सामाजिक न्याय और कानून व्यवस्था के मुद्दों पर एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। समाज के विभिन्न वर्गों का यह संयुक्त प्रयास न्याय और समानता की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

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