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गुरूवार, मार्च 13, 2025
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शिकायतों के बाद भी प्रदूषण नियंत्रण नियमों की धज्जियां उड़ा रहा बालको

राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस ‘इंटक’ ने लिखा पत्र, मांगा जवाब

कोरबा (पब्लिक फोरम)। राष्ट्रीय मजदूर कॉंग्रेस कोरबा के जिला एवं प्रदेश पदाधिकारियों द्वारा दिनांक 17-08-2022 को केंद्रीय मंत्री वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय, जल मंत्रालय, केंद्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड एवं केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के समक्ष भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड द्वारा पर्यावरणीय स्वीकृति के उल्लंघन, स्थापना सम्मति को निरस्त करने, अवैध अतिक्रमण हटाने एवं FGD, Denox, Carbon Removal Technology जैसे प्रदुषण नियंत्रकों की स्थापना तय समयावधि के भीतर ना करके पर्यावरण प्रदूषण फैलाने के सम्बंध में शिकायत की थी।

जिस पर राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही थी जिसके चलते सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत 25-10-2022 को जानकारी मांगी गई जो पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय दिल्ली एवं अन्य मंत्रालयों को दिनांक 09-11-2022 को प्राप्त हुए। प्राप्ति के बाद दिनांक 14-11-2022 को मंत्रालय के द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल को उचित कार्यवाही हेतु आदेशित किया गया था परंतु राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा उक्त शिकायत पत्र पर दिनांक 30-09-2022 को कार्यवाही करना अपने पत्र दिनांक 04-11-2022 एवं 07-11-2022 को बताया गया।

जबकि ऊर्जा मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा अभी हाल ही मे दिनांक 23-11-2022 को सचिव ऊर्जा विभाग महानदी भवन को प्रदुषण नियंत्रक की स्थापना हेतु आवश्यक कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है। अभी हाल ही मे दिनांक 09-12-2022 को ग्राम भिलाईखुर्द में लो लाइंग एरिया में राखड़ डंपिंग के नाम पर अवैध तरीकों से राखड़ भराव हेतु राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने SDM, निगम आयुक्त एवं क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी को जमकर खरीखोटी सुनाई थी और उक्त मामले में गंभीरतापूर्वक कार्यवाही करने का निर्देश दिया था जिस पर देवेन्द्र पटेल Dy. CEO (Power) को नोटिस क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा जारी की गई थी परंतु राष्ट्रीय मजदूर कॉंग्रेस द्वारा दिए पत्र पर उक्त विभागों द्वारा त्वरित कार्यवाही क्यूँ नहीं की गई थी और संबंधित कार्यवाही की जानकारी 4 महीने बाद आधे अधूरे तौर पर देना इनके कार्यशैली की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।

उद्योगपति और कारपोरेट अकूत मुनाफा खाएं। अधिकारी और नेता कमीशन खाएं। आखिरकार जिले की निर्दोष जनता विस्थापन, बेरोजगारी और प्रदूषण की खतरनाक एवं जानलेवा जहर खा-खा के फोकट में अपनी जान क्यों गंवाये?

प्रदूषण के सवाल पर जिले की प्रशासनिक अधिकारियों की छवि लोक सेवक के बजाय उद्योग सेवक के तौर पर जिले के जनसामान्य के दिलो-दिमाग में बनती जा रही है। छत्तीसगढ़ की सरकार के द्वारा यदि समय रहते अपने अधीनस्थ इन अधिकारियों और उद्योगपतियों पर नकेल ना कसी गई तो आने वाले समय में वर्तमान सरकार को जन आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।

(बालको संयंत्र का जहरीला केमिकल नदी नाले को कर रहा प्रदूषित)
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