पटना (पब्लिक फोरम)। बिहार में बदलाव की लहर तेज हो रही है। ‘बदलो बिहार समागम’ में विभिन्न आंदोलनकारी ताकतों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने एक मंच पर आकर बिहार में बदलाव का संकल्प लिया। पटना में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘प्रगति यात्रा’ को ‘दमन यात्रा’ करार दिया। उन्होंने कहा, “यह यात्रा जनता को दबाने और उनकी आवाज को कुचलने का प्रयास है।”
जनता की आवाज और सत्ता का संघर्ष
कार्यक्रम में दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार को सही दिशा में ले जाने के लिए सत्ता में बदलाव जरूरी है। उन्होंने कहा कि 20 वर्षों के शासन में गरीबी चरम पर पहुंच गई है। राज्य के 94 लाख परिवार ऐसे हैं, जिनकी मासिक आय 6000 रुपये से भी कम है।
उन्होंने सवाल उठाया, “केरल और तमिलनाडु में रसोइयों को 12,000 और 10,000 रुपये मासिक वेतन मिलता है, जबकि बिहार में यह मात्र 1650 रुपये है। क्या यही न्याय और विकास है?”
एकजुट आंदोलन का आह्वान
समागम में मौजूद नेताओं और प्रतिनिधियों ने 9 मार्च 2025 को पटना के गांधी मैदान में आयोजित होने वाले ‘बदलो बिहार महाजुटान’ को ऐतिहासिक बनाने की अपील की।
समागम में कई प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें शामिल हैं:-
1. सामाजिक समानता और न्याय: बिहार को समृद्ध और न्यायपूर्ण राज्य बनाने के लिए सभी वर्गों की एकता का आह्वान।
2. संविधान की रक्षा: संघ और भाजपा के फासीवादी हमलों के खिलाफ संघर्ष और संविधान बचाने का संकल्प।
3. लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा: बीपीएससी छात्रों और जीविका कार्यकर्ताओं पर दमन के खिलाफ विरोध।
4. गरीबी उन्मूलन और आर्थिक न्याय: गरीबों को 2 लाख रुपये, 5 डिसमिल आवासीय भूमि और पक्का मकान देने की गारंटी।
5. मजदूरी और रोजगार: स्कीम वर्कर्स को उचित मानदेय, मुफ्त बिजली और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की लूट पर रोक।
6. औद्योगिक पुनर्जीवन: बंद पड़े उद्योगों को पुनर्जीवित करने और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की योजना।
7. आरक्षण विस्तार और जातीय गणना: दलितों और पिछड़ों के आरक्षण विस्तार और पूरे देश में जातीय गणना की मांग।
सामाजिक बदलाव की लड़ाई
कार्यक्रम में पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, एमएलसी शशि यादव और अन्य नेताओं ने कहा कि बिहार को दमनकारी नीतियों से बाहर निकालने के लिए व्यापक जनआंदोलन जरूरी है।
कार्यक्रम की शुरुआत ‘बदलो बिहार’ के आह्वान पर आधारित एक प्रेरणादायक गीत से हुई।
समागम ने बिहार में सामाजिक समानता, आर्थिक न्याय और लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली के लिए एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। 9 मार्च को गांधी मैदान में होने वाला महाजुटान इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा।
Recent Comments