रायगढ़ (पब्लिक फोरम)। कोयला मंत्रालय द्वारा 67 कोयला खदानों की नीलामी के 10वें चरण में छत्तीसगढ़ के 17 ब्लॉकों को शामिल किया गया है, जिनमें से 7 रायगढ़ जिले में स्थित हैं।
यह खबर उत्साहजनक लग सकती है, लेकिन इसमें छिपा खतरा पर्यावरण और वन्यजीवों के लिए बहुत घातक है।
ऐसा क्यों है?
वन विनाश: इनमें से कई ब्लॉक रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्रों में आते हैं, जिनके खनन से भारी वन विनाश होगा।
हाथी-मानव संघर्ष: रायगढ़, धरमजयगढ़ और जशपुर वनमंडल पहले से ही हाथी-मानव संघर्ष से जूझ रहे हैं। खनन गतिविधियों से यह समस्या और बढ़ेगी।
जलवायु परिवर्तन: वनों की कटाई और खनन से जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा।
इन खदानों का क्या होगा?
गारे पेलमा 4/5: हिंडाल्को द्वारा सरेंडर की गई यह खदान 100 मिलियन टन कोयले का भंडार रखती है।
नवागांव ईस्ट और वेस्ट: इन दोनों खदानों में क्रमशः 421 और 403 मिलियन टन कोयला भंडार है।
अन्य खदानें: टेरम, वेस्ट ऑफ छाल, वेस्ट ऑफ बायसी, झारपालम टांगरघाट 6, भटगांव 2 एक्सटेंशन, कोतमेर नॉर्थ, कोतमेर साउथ, उलिया गम्हारडीह, विजय नगर नॉर्थ, विजय नगर साउथ, करतला नॉर्थ, करतला साउथ और कुशाहा भी शामिल हैं।
क्या है समाधान?
पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन: खनन गतिविधियों से पहले पर्यावरणीय प्रभाव का गहन अध्ययन आवश्यक है।
वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा: कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए सौर, पवन और जल विद्युत जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
स्थानीय समुदायों का ध्यान: खनन से प्रभावित होने वाले स्थानीय समुदायों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में ग्राम सभाओं के फैसले और सुझावों को अनिवार्यतः शामिल किया जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ के इन 7 नए कोयला खदानों का अर्थ केवल आर्थिक लाभ नहीं है। पर्यावरण और वन्यजीवों पर इसका विनाशकारी प्रभाव होगा।
हमें विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है।
यह सुनिश्चित करने के लिए उचित नीतियां और कड़े नियम बनाए जाने चाहिए कि खनन गतिविधियां निरापद और टिकाऊ हों और कम से कम नुकसान पहुंचाने वाले हों।
छत्तीसगढ़ के 7 नए कोयला खदानों की नीलामी: वन विनाश का खतरा, हाथी-मानव संघर्ष का बढ़ता डर!
RELATED ARTICLES
Recent Comments