रायपुर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियंस (AICCTU) ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। संगठन ने बताया कि 24 जून को पूरे देश में एक विरोध दिवस मनाया जाएगा। यह विरोध कंपनियों द्वारा भविष्य निधि (पीएफ) अंशदान जमा न करने पर लगने वाले दंड में की गई भारी कटौती के खिलाफ है।
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 14 जून, 2024 को एक नई अधिसूचना जारी की। इसके तहत कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) और कर्मचारी जमा-संबद्ध बीमा योजना (ईडीएलआई) में अंशदान जमा करने में देरी के लिए लगने वाले दंड में भारी कमी की गई है। इसमें श्रमिकों का अंशदान भी शामिल है।
AICCTU ने मोदी सरकार के इस फैसले को कॉरपोरेट समर्थक और श्रमिक विरोधी बताया है। संगठन का कहना है कि सरकार अवैध गतिविधियों को वैधता प्रदान कर रही है और कानूनी दायित्वों के उल्लंघन को मान्यता दे रही है। यह कदम कंपनियों को श्रमिकों के पीएफ अंशदान में भी धोखाधड़ी करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
नए नियमों के अनुसार, अब देरी से अंशदान जमा करने वालों पर प्रति माह केवल 1% का जुर्माना लगेगा। यानी, ईपीएफ के तहत बकाया योगदान पर सालाना 12% का दंड लगाया जाएगा। यह पहले के नियम से काफी कम है, जिसमें 6 महीने या उससे अधिक समय तक चूक के लिए 25% तक का जुर्माना लगाया जा सकता था।
ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) ने इस कदम को श्रमिकों की मेहनत की कमाई की खुली लूट करार दिया है। संगठन ने मोदी सरकार से इस अधिसूचना को तुरंत वापस लेने की मांग की है। साथ ही, देश के सभी श्रमिकों से इस फैसले का जोरदार विरोध करने का आह्वान किया है।
श्रमिक हितों पर हमला: पीएफ अंशदान में देरी पर दंड कटौती के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी विरोध
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