कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया। खपराभट्टा मोहल्ले की एक आइसक्रीम फैक्ट्री में दो दलित मजदूरों पर बर्बर अत्याचार का मामला सामने आया है। चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जबकि अन्य की तलाश जारी है। नगर पालिक निगम ने कड़ा रुख अपनाते हुए फैक्ट्री को सील कर दिया है। यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और मजदूरों के शोषण की कड़वी सच्चाई को भी उजागर करती है।
क्या हुआ था उस भयावह रात में?
खपराभट्टा की आइसक्रीम फैक्ट्री में राजस्थान के भीलवाड़ा से आए दो दलित युवक, अभिषेक भांबी और विनोद भांबी, मजदूरी कर रहे थे। इन युवकों को फैक्ट्री मालिकों ने काम के लिए बुलाया था। काम शुरू करने से पहले दोनों ने एडवांस राशि की मांग की, जो उनके लिए एक सामान्य जरूरत थी। लेकिन यह मांग मालिकों को नागवार गुजरी। गुस्से में आकर आरोपियों ने युवकों पर चोरी का झूठा आरोप लगाया और उनकी बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी।
यही नहीं, आरोपियों ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए मजदूरों को बिजली के झटके दिए। एक वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि पीड़ित मजदूर अपनी जान बचाने की गुहार लगा रहे हैं, हाथ जोड़कर रहम की भीख मांग रहे हैं, लेकिन आरोपी उन्हें धमकाते हुए और मारते रहे। यह दृश्य इतना हृदयविदारक है कि इसे देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए।
न्याय की लंबी लड़ाई
पीड़ित मजदूर किसी तरह अपनी जान बचाकर राजस्थान के भीलवाड़ा पहुंचे। वहां उन्होंने स्थानीय पुलिस से मदद मांगी, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। निराशा के बीच किसी ने उन्हें भीलवाड़ा के एसपी से मिलने की सलाह दी। एसपी ने मारपीट का वीडियो देखकर तुरंत कार्रवाई की। जीरो एफआईआर दर्ज की गई और मामला कोरबा पुलिस को ऑनलाइन स्थानांतरित कर दिया गया।
कोरबा की सिविल लाइन पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रही है।
नगर पालिक निगम का कड़ा फैसला
इस घटना ने स्थानीय प्रशासन को भी झकझोर दिया। नगर निगम ने तुरंत फैक्ट्री का निरीक्षण किया और इसे सील कर दिया। यह कदम न केवल कानूनी कार्रवाई का हिस्सा है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि मजदूरों के साथ अमानवीय व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
कौन हैं ये आरोपी?
पुलिस के अनुसार, सभी आरोपी राजस्थान के मूल निवासी हैं और कोरबा में आइसक्रीम फैक्ट्री का संचालन कर रहे थे। उन्होंने गरीब और जरूरतमंद मजदूरों को काम का लालच देकर बुलाया, लेकिन उनकी मेहनत का सम्मान करने के बजाय उन्हें शारीरिक और मानसिक यातना दी। इस घटना ने यह सवाल खड़ा किया है कि हमारे समाज में मजदूरों की गरिमा और अधिकारों की रक्षा के लिए क्या पर्याप्त उपाय हैं?
एक मानवीय अपील
यह घटना केवल एक अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि हमारे समाज की उस मानसिकता को दर्शाती है, जो कमजोर और वंचित वर्गों को दबाने में संकोच नहीं करती। अभिषेक और विनोद जैसे मजदूर अपने परिवारों के लिए दो वक्त की रोटी कमाने की जद्दोजहद में हैं। उनके साथ हुआ यह अत्याचार हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमारा समाज वाकई में समानता और न्याय की बात करता है?
पुलिस ने आश्वासन दिया है कि इस मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पीड़ित मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए जांच तेजी से चल रही है। साथ ही, स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठन इस घटना के बाद मजदूरों के अधिकारों और सुरक्षा पर चर्चा कर रहे हैं। यह जरूरी है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और समाज में हर इंसान को सम्मान और सुरक्षा मिले।
हमें क्या सीखना चाहिए?
यह घटना हमें याद दिलाती है कि मजदूरों और कमजोर वर्गों के साथ संवेदनशीलता और सम्मान से पेश आना हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है। सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर ऐसे कदम उठाने होंगे, जिससे हर व्यक्ति को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने का हक मिले।
आप क्या सोचते हैं? क्या यह घटना हमारे समाज की गहरी खामियों को उजागर करती है? अपने विचार हमारे साथ साझा अवश्य करें।
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