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फर्जी पर्चियों से राख परिवहन घोटाला: सीएसईबी ने हेम्स कॉर्पोरेशन को किया ब्लैकलिस्ट

कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (सीएसईबी) ने राख परिवहन में भारी अनियमितताओं के कारण हेम्स कॉर्पोरेशन सर्विस इंडिया लिमिटेड को एक वर्ष के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया है। अब यह कंपनी सीएसईबी के किसी भी टेंडर में हिस्सा नहीं ले सकेगी। नए साल की शुरुआत में यह फैसला शारदा विहार से संचालित इस कंपनी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है।

घोटाले का पर्दाफाश और आरटीआई का असर
सीएसईबी के ऐश यूटिलाइजेशन एवं पॉल्यूशन कंट्रोल विभाग के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर द्वारा की गई जांच में पाया गया कि कंपनी ने राख परिवहन कार्य में फर्जी पर्चियों का उपयोग किया। इस घोटाले को उजागर करने का श्रेय आरटीआई एक्टिविस्ट मनीष राठौर को जाता है, जिन्होंने प्रामाणिक दस्तावेजों के साथ यह मामला उठाया।
मनीष की शिकायत के अनुसार, हेम्स कॉर्पोरेशन ने फर्जी पर्चियों के आधार पर राख परिवहन कर बड़ा वित्तीय लाभ कमाया। उनकी इस कार्यवाही ने सीएसईबी के कामकाज पर सवाल खड़े कर दिए थे।

ब्लैकमेलिंग का आरोप और सच्चाई की जीत
मामला उजागर होने के बाद, हेम्स कॉर्पोरेशन ने बचाव की मुद्रा अपनाते हुए उल्टा मनीष राठौर पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। लेकिन, सीएसईबी के उच्चाधिकारियों ने पेश किए गए दस्तावेजों की गहन जांच की। जांच में मनीष की सभी शिकायतें सही पाई गईं, और कंपनी की अनियमितताएं उजागर हुईं।

सीएसईबी ने हेम्स कॉर्पोरेशन को ब्लैकलिस्ट करने के साथ ही आगे की कानूनी कार्रवाई की संभावना जताई है। इस बात की भी आशंका है कि फर्जी पर्चियों के माध्यम से किए गए इस काम के अन्य पहलुओं पर गहराई से जांच होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस जांच में अन्य घोटाले भी सामने आ सकते हैं।

यह घटना पब्लिक सेक्टर और निजी कंपनियों के बीच पारदर्शिता की कमी को उजागर करती है। यह जरूरी है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में सरकारी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार को रोका जा सके। आरटीआई एक्टिविस्ट मनीष राठौर की इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि अगर एक नागरिक दृढ़ता से खड़ा हो, तो बड़े घोटालों का पर्दाफाश किया जा सकता है।

सीएसईबी का सख्त संदेश
सीएसईबी का यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि वह भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ सख्त है। यह निर्णय अन्य कंपनियों के लिए भी एक चेतावनी है कि वे अपने कार्य में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखें।
यह मामला केवल एक घोटाले का खुलासा नहीं है, बल्कि सिस्टम में सुधार और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालता है। यह उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।

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