शुक्रवार, अक्टूबर 18, 2024
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अरुंधति रॉय: साहित्य की निडर आवाज़ को मिला प्रतिष्ठित पुरस्कार

भारतीय लेखिका अरुंधति रॉय को वर्ष 2024 का प्रतिष्ठित ‘पेन पिंटर पुरस्कार’ प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान उनकी साहसिक लेखनी और मानवाधिकारों के प्रति समर्पण को मान्यता देता है। रॉय की यह उपलब्धि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब उन पर कानूनी कार्रवाई की संभावना मंडरा रही है।
पुरस्कार समिति ने रॉय को “अन्याय की कहानियों को समझदारी और सौंदर्य के साथ प्रस्तुत करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय विचारक” के रूप में सराहा है। उनकी प्रभावशाली आवाज़ और निर्भीक अभिव्यक्ति ने उन्हें इस सम्मान के लिए चुना है।
रॉय ने पुरस्कार स्वीकार करते हुए कहा, “इस बदलती दुनिया को समझना कठिन हो रहा है। हमें हेरोल्ड पिंटर जैसे लेखकों की कमी खलती है, जो इस जटिल वास्तविकता को शब्दों में पिरोते।”
यह पुरस्कार ऐसे समय में आया है जब रॉय के विरुद्ध एक पुराने मामले में कानूनी कार्रवाई की अनुमति दी गई है। यह मामला 2010 में कश्मीर पर दिए गए उनके एक भाषण से संबंधित है, जिसे विवादास्पद माना गया था।

अरुंधति रॉय, जिन्होंने 1997 में अपने उपन्यास ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए बुकर पुरस्कार जीता था, लगातार मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर लिखती रही हैं। उनकी लेखनी ने उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है, साथ ही कई विवादों में भी घेरा है।
पेन पिंटर पुरस्कार, जो नोबेल पुरस्कार विजेता नाटककार हेरोल्ड पिंटर की स्मृति में प्रदान किया जाता है, उन लेखकों को सम्मानित करता है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए निरंतर संघर्षरत रहते हैं। रॉय को यह पुरस्कार 10 अक्टूबर को ब्रिटिश लाइब्रेरी में आयोजित एक समारोह में प्रदान किया जाएगा।

इस पुरस्कार से न केवल रॉय की साहित्यिक प्रतिभा को मान्यता मिली है, बल्कि यह उनके साहसिक विचारों और सामाजिक सरोकारों के प्रति समर्पण का भी प्रमाण है। यह घटनाक्रम साहित्य और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व को रेखांकित करता है, विशेषकर ऐसे समय में जब विचारों की स्वतंत्रता पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

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