रायपुर (पब्लिक फोरम)। संवैधानिक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को बचाने के लिए व्यापक जनवादी संघर्ष संगठित करने उद्देशित समान विचार वाले संस्थाओं का प्रस्तावित संयुक्त मोर्चा बनाने हेतु गुरुघासीदास सेवादार संघ (GSS) द्वारा जारी अपील में कहा गया है कि हम सब देश में जनवाद, धर्मनिरपेक्षता पर बढ़ते संगठित हमले को भलीभांति देख-समझ रहे हैं।
क्रोनी केप्तलिज्म सत्ता द्वारा (पसंद के इजारेदार की तरफदारी/दलाली) एवं सामंती- जातिवादी धर्म विशेष के गठजोड़ से बनी राजसत्ता, अपनी मनमानी, तानाशाही प्रवित्ति, संविधान विरोधी करतूतों से रोजी- रोजगार , विचार अभव्यक्ति एवं संविधान सम्मत धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक आजादी व सहिष्णुता को तहस- नहस कर मनुवादी फ़ासिज़्म की ओर बढ़ रहा है और संविधान को कुचलने-बदलने-नष्ट करने आमादा है। बढ़ते आर्थिक संकट एवं इसके चपेट में आने वाले आम, आमजन बुरी तरह से शोषण लूट के शिकार हो रहे हैं। इसके लिए कमोबेश हम अपने- अपने संगठन एवं कहीं संयुक्त संघर्ष संगठित होते भी देख रहे हैं और यह होना भी चाहिए।
धार्मिक स्वतंत्रता के हनन के खिलाफ कारगर मोर्चा क्यों नहीं?
लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता के हनन के खिलाफ जिस तरह से व्यापक संयुक्त प्रयास होना चाहिए, वह नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण सत्ताधारी फासिस्ट शक्तियां लोगों को जाति, धर्म के खांचे में बांटने, नफरत कर फुट डालने एवं इस फुट का उपयोग वह अपनी आर्थिक लूट को छिपाने-बचाने व राजनीतिक सत्ता बचाए रखने में भरपूर उपयोग कर रहा है।
सत्ता की ओर से धार्मिक सवाल को इस तरह से लोगों में परोसता है कि, हमारे अधिकांश लोग/संस्थाएं भ्रमित होकर इस सवालों से बचने लगते हैं और वह खुशफहमी पालते हैं कि आर्थिक मुद्दों की लड़ाई से यह सब ठीक हो जाएगा। ऐसे लोग यह गलत सोच रखते हैं कि राजनीति के सवाल को उठाओ और धर्म के सवाल को उठाने से आर्थिक लड़ाई कमजोर होगा।
फासिस्ट मनुवादी प्रभूसत्ता द्वारा धर्म को राजनीतिक साधन बनाना
जबकि वास्तिकता यह है कि फासिस्ट सत्ता अपनी अर्थ राजनीति के लुटेरों को बचाने के लिए ही धर्म के सवालों को उठाता और ढाल बनाकर खड़ा करता है और लोग उनके इस ढाल के सामने निढाल हो जाते हैं। अब यह जब तक इनके इस ढाल को नष्ट नहीं करेंगे, तब तक हमारी आर्थिक-राजनीतिक मुद्दे भी परवान नहीं चढ़ सकता। एक तरह से हम जाने-अनजाने इस बिंदु पर उन्हें वाक ओवर (walk over) से देते हैं। हमारे लोग इनके बिछाए झूठ धार्मिक जाल में फंसे ही रहेंगे।
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