रायपुर (पब्लिक फोरम)। संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर गुरुवार को छत्तीसगढ़ में भी व्यापक स्तर पर कॉर्पोरेट विरोधी दिवस मनाया गया। प्रदेशभर में धरना-प्रदर्शन, रैली और ज्ञापन सौंपने के कार्यक्रम आयोजित हुए। आंदोलनकारियों ने केंद्र और राज्य सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि देश के संसाधनों को चंद बड़े घरानों के हाथों सौंपा जा रहा है, जिससे जल, जंगल और जमीन पर खतरा मंडरा रहा है।
कार्यक्रमों में भाग लेने वाले संगठनों ने भारत छोड़ो आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को याद करते हुए इसे आज के परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक बताया। संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ को अदानी कंपनी के लूट के केंद्र में बदल दिया गया है। पेसा और वनाधिकार अधिनियम सहित संवैधानिक प्रावधानों की खुली अनदेखी करते हुए प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा रहा है। आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कहा कि “अडानी और अन्य कॉर्पोरेट कंपनियों को छत्तीसगढ़ से बाहर निकालना ही प्रदेश और किसानों के हित में है।”

आह्वान के तहत विभिन्न जिलों में प्रदर्शन हुए:-
🔹भारतीय किसान यूनियन (टिकैत): गरियाबंद, दुर्ग, जगदलपुर, बीजापुर, नारायणपुर
🔹अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान संगठन एवं आदिवासी भारत महासभा: मैनपुर
🔹छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा: दल्ली राजहरा, बालोद
🔹जिला किसान संघ: राजनांदगांव
🔹छत्तीसगढ़ किसान महासभा: रायपुर
🔹हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति: हसदेव
🔹छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ: कुसमुंडा (कोरबा) व लुण्ड्रा (सरगुजा)

इन आंदोलनों का नेतृत्व तेजराम विद्रोही, प्रवीण श्योकंद, नरोत्तम शर्मा, सौरा यादव, भीमसेन मरकाम, युवराज नेताम, जनकलाल ठाकुर, रमाकांत बंजारे, सुदेश टीकम, आलोक शुक्ला, प्रशांत झा, जवाहर कंवर, दीपक साहू, सोमेंद्र सिंह, दामोदर श्याम और ऋषि गुप्ता जैसे किसान नेताओं ने किया।
सभी स्थानों पर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपे गए। ज्ञापन में प्रमुख मांगें शामिल थीं:-
– अमेरिका के साथ कृषि समझौते और 50% टैरिफ का विरोध।
– राष्ट्रीय सहकारी नीति को किसानों के लिए नुकसानदेह बताते हुए इसे वापस लेने की मांग
– लाभकारी समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी
– किसानों के सभी ऋण माफ करना
– वृद्ध किसानों को ₹10,000 मासिक पेंशन
– स्मार्ट मीटर और बिजली क्षेत्र के निजीकरण का विरोध
– कॉर्पोरेट खनन पर रोक और आदिवासी विस्थापन की समाप्ति
नेताओं ने चेतावनी दी कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार को अपनी नीतियों के कारण किसान और आदिवासी वर्ग के कड़े विरोध का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने प्रदेशभर में मजदूर-किसान एकता को मजबूत कर व्यापक जनसंघर्ष खड़ा करने का ऐलान किया।
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