खरसिया (पब्लिक फोरम)। सरकारी कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं ने शिक्षकों की कमी को लेकर नगर पालिका कार्यालय का घेराव किया। छात्राएं नारे लगाते हुए नगर पालिका पहुंचीं, लेकिन मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) की अनुपस्थिति ने उन्हें निराश कर दिया। इस पर छात्राओं ने अपना विरोध प्रदर्शन बढ़ाते हुए विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) और एसडीएम कार्यालय की ओर कूच कर लिया।
जैसे ही प्रशासन को इस आंदोलन की जानकारी मिली, उनके हाथ-पांव फूल गए। आनन-फानन में एसडीएम खरसिया ने तहसीलदार और बीईओ को छात्राओं को शांत कराने के लिए भेजा। तहसीलदार और बीईओ ने छात्राओं से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को जल्द सुलझाने का आश्वासन दिया। इस आश्वासन पर छात्राएं वापस लौट आईं और विरोध प्रदर्शन खत्म हुआ।
गौरतलब है कि इस विद्यालय का संचालन नगर पालिका परिषद खरसिया द्वारा किया जाता रहा है। पहले यहां प्लेसमेंट पर रखे गए शिक्षकों द्वारा शिक्षण कार्य सुचारू रूप से चल रहा था। लेकिन कुछ महीने पहले, राज्य सरकार ने इस विद्यालय को अपने अधीन कर लिया, जिसके कारण प्लेसमेंट शिक्षकों को हटा दिया गया। नगर पालिका ने 4 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था, लेकिन अभी तक कोई निर्देश नहीं मिलने के कारण शिक्षक नियुक्त नहीं हो पाए हैं।
छात्राओं का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और ढुलमुल रवैये के कारण उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है। वे लगातार अधिकारियों से शिक्षक नियुक्त करने की मांग कर रही थीं, लेकिन जब कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो उन्हें विरोध का रास्ता अपनाना पड़ा। छात्राओं को जब यह जानकारी मिली कि एसडीएम और बीईओ ही इस समस्या का समाधान कर सकते हैं, तो वे उनके कार्यालय की ओर बढ़ीं।
स्थानीय प्रशासन ने हालात को गंभीरता से लेते हुए तुरंत तहसीलदार और बीईओ को मौके पर भेजा। जब छात्राएं हमालपारा तक पहुंचीं, तब तक अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन देकर बीच रास्ते से ही वापस भेजने में सफलता पाई। अगर प्रशासन कुछ और देर करता, तो छात्राएं एसडीएम और बीईओ कार्यालय पहुंच जातीं। आखिरकार, प्रशासन ने राहत की सांस ली, जब छात्राओं ने आंदोलन समाप्त कर दिया।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
नगर पालिका अध्यक्ष के प्रतिनिधि ने बताया कि नगर पालिका में 96 प्लेसमेंट कर्मचारियों की स्वीकृति थी, जिसमें 7 शिक्षक शामिल हैं। इनमें से 4 कन्या स्कूल और 3 बाल मंदिर में तैनात थे। हाल ही में इस प्लेसमेंट का टेंडर भी पास हो चुका है, लेकिन राज्य सरकार से अब तक कोई मार्गदर्शन नहीं मिला है। नगर पालिका परिषद की बैठक में 27 जून 2024 को पुनः इस सेटअप का प्रस्ताव राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा गया है, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इस घटना से स्पष्ट है कि छात्राएं शिक्षकों की कमी से बेहद परेशान हैं। शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का मौलिक अधिकार है, और प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि वह छात्रों को पर्याप्त शैक्षणिक संसाधन उपलब्ध कराए। यहां प्रशासन की लापरवाही स्पष्ट दिखती है, जो स्थिति को पहले ही हल कर सकता था।
प्रदर्शन को लेकर छात्राओं की भावनाएं समझना आवश्यक है। उनकी नाराजगी और निराशा जायज़ है, क्योंकि बिना शिक्षकों के शिक्षा की गुणवत्ता में भारी गिरावट आती है। प्रशासन को इस मामले में त्वरित निर्णय लेना चाहिए था ताकि यह विरोध प्रदर्शन तक न पहुंचता।
यह घटनाक्रम शिक्षा विभाग और प्रशासन के बीच समन्वय की कमी को भी उजागर करता है। सरकारी संस्थानों को शिक्षण व्यवस्था में इस प्रकार की रुकावटें नहीं आने देनी चाहिए, क्योंकि इससे छात्रों का भविष्य दांव पर लगता है।
Recent Comments