back to top
मंगलवार, जुलाई 29, 2025
होमआसपास-प्रदेशकोरबा में भू-विस्थापितों का आक्रोश: सीएमडी और कुसमुंडा जीएम का पुतला दहन,...

कोरबा में भू-विस्थापितों का आक्रोश: सीएमडी और कुसमुंडा जीएम का पुतला दहन, एफआईआर के खिलाफ उग्र प्रदर्शन

कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में खनन प्रभावित भू-विस्थापितों ने एसईसीएल कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने सीएमडी और कुसमुंडा जीएम का पुतला फूंका। उन्होंने आंदोलनकारी नेता प्रशांत झा सहित 13 भू-विस्थापितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की कड़ी निंदा की। संगठनों ने स्पष्ट कहा कि वे रोजगार और पुनर्वास के अधिकारों के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे और किसी भी प्रकार के दमन से डरने वाले नहीं हैं। वे पूर्व में भी लाठीचार्ज और जेल का सामना कर चुके हैं।

गौरतलब है कि एक दिन पूर्व, किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों ने एसईसीएल कुसमुंडा खदान में 12 घंटे तक कोल परिवहन पूरी तरह से ठप कर दिया था, जिससे कंपनी को भारी नुकसान हुआ। शाम को प्रबंधन के साथ हुई बैठक के बाद हड़ताल समाप्त हुई। इस बैठक में प्रबंधन ने कुछ लंबित रोजगार मामलों के समाधान के लिए सहमति जताई और अन्य मामलों को लेकर 10 दिनों में उच्च स्तरीय वार्ता आयोजित करने का लिखित आश्वासन दिया।

लेकिन समझौते के तुरंत बाद, एसईसीएल प्रबंधन ने किसान सभा नेता प्रशांत झा समेत 13 भू-विस्थापितों पर एफआईआर दर्ज कर दी। यह प्रशांत झा के खिलाफ चौथी एफआईआर है और उन्हें एक बार पहले जेल भी भेजा जा चुका है। इस कार्रवाई के विरोध में क्षेत्र में भारी आक्रोश देखा गया। बड़ी संख्या में भू-विस्थापितों ने महाप्रबंधक कार्यालय के सामने नारेबाजी करते हुए पुतला दहन किया। पुतला दहन को रोकने के लिए पुलिस बल तैनात था, फिर भी प्रदर्शनकारी सफल रहे। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला सचिव दीपक साहू, सुमेंद्र सिंह कंवर और जय कौशिक ने एफआईआर को दमनकारी बताते हुए एसईसीएल प्रबंधन की आलोचना की। उन्होंने कहा कि जब एक ओर समझौता हो रहा है और दूसरी ओर एफआईआर की जा रही है, तो यह दोहरा रवैया प्रबंधन की घबराहट को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कोल प्रबंधन जनता को भ्रमित न करे, बल्कि जायज़ मांगों पर गंभीरता से कार्यवाही करे।

भू-विस्थापित नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव और रघु यादव ने सवाल उठाया कि अगर आंदोलनकारियों की मांगें गलत थीं, तो प्रबंधन ने उनसे लिखित समझौता क्यों किया?

किसान सभा के नेता प्रशांत झा ने कहा कि वे 1270 दिनों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। चक्का जाम से लेकर खदान बंदी तक कई उग्र आंदोलन हुए, लेकिन हर बार प्रबंधन ने केवल दिखावटी सहमति जताई और वादे निभाए नहीं। उन्होंने कोल प्रबंधन को क्षेत्र में अशांति के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 10 दिनों में वार्ता से समाधान नहीं निकलता, तो 7 मई को खदान बंद हड़ताल को और तेज किया जाएगा।

पुतला दहन कार्यक्रम में रेशम यादव, दामोदर श्याम, जय कौशिक, उत्तम दास, राजकुमार, फिरत, दीनानाथ, अनिल और सुमेंद्र सिंह समेत बड़ी संख्या में भू-विस्थापित शामिल रहे।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments