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बुधवार, मार्च 12, 2025
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कोरबा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का धरना-प्रदर्शन 07 मार्च को: सात सूत्रीय मांगों को लेकर जुटेंगी महिलाएं, सरकार से शासकीय कर्मचारी का मांगा दर्जा!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले के घंटाघर के पास आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन और रैली का निर्णय लिया है। यह आयोजन 07 मार्च को होगा, जिसमें शासकीय कर्मचारी का दर्जा दिए जाने सहित 07 सूत्रीय मांगों को लेकर आवाज उठाई जाएगी। धरना-प्रदर्शन के बाद दोपहर 2 बजे से कलेक्टोरेट तक रैली निकाली जाएगी।

मांगों में क्या है शामिल?
भारतीय जनता पार्टी के श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ के महामंत्री चंपा पैकरा ने कलेक्टर कोरबा को ज्ञापन सौंपा है, जिसमें 07 मुख्य मांगें शामिल हैं। इनमें सबसे प्रमुख मांग आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को शासकीय कर्मचारी का दर्जा दिए जाने की है। इसके अलावा, श्रम कानून के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को न्यूनतम 21 हजार रुपए और सहायिकाओं को 18 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय दिए जाने की मांग की गई है। अन्य मांगों में अतिरिक्त कार्य न कराना, विभागीय कार्यावधि में छूट, विभागीय कार्यों के लिए नेट चार्ज और अच्छी स्टोरेज वाले मोबाइल फोन उपलब्ध कराना शामिल है।

धरना-प्रदर्शन को लेकर तैयारी 
इस धरना और रैली को सफल बनाने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की एक बैठक भी हुई। इस बैठक में लंबित मांगों और  7 सूत्रीय मांगों की जानकारी दी गई और सभी से धरना-प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का आग्रह किया गया।

राजनीतिक पृष्ठभूमि
छत्तीसगढ़ में अब डबल इंजन की सरकार (भाजपा) है। पहले कांग्रेस सरकार के दौरान जनहित के कई मुद्दे अधूरे रह जाने और छूट जाने की शिकायत थी, लेकिन अब भाजपा सरकार को यह साबित करना है कि अब वह आम आदमी की समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। और अब यह देखना बाकी है कि बीजेपी की सरकार इन ज्वलंत मुद्दों को कैसे हल करती है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की यह आवाज इस बात का संकेत है कि अगर सरकार ने जल्दी कदम नहीं उठाए, तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का आंदोलन आगे जारी रहेगा।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं समाज के सबसे निचले पायदान पर काम करने वाली महिलाएं हैं, जो बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण के लिए अथक प्रयास करती हैं। इनकी मांगें न केवल उनके अधिकारों की बात करती हैं, बल्कि समाज के प्रति उनके योगदान को मान्यता देने की मांग भी हैं। इन महिलाओं की आवाज सुनकर ही सरकार यह साबित कर सकती है कि वह वास्तव में जनहित में काम कर रही है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का यह आंदोलन न केवल उनके अधिकारों की लड़ाई है, बल्कि समाज के प्रति उनके योगदान को मान्यता देने की मांग भी है। सरकार को चाहिए कि वह इन मांगों पर गंभीरता से विचार करे और जल्द से जल्द इन्हें पूरा करने की दिशा में कदम उठाए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यह आंदोलन और तेज हो सकता है, जो सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी।

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