पटना (पब्लिक फोरम)। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने आज पटना में ‘लड़कियों की आकांक्षाएं और संघर्ष’ विषय पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया। कॉलेज में पढ़ने वाली युवतियों को संबोधित करते हुए, इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य उन्हें अपनी आकांक्षाओं और समाज में मौजूद सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाओं पर खुलकर विचार-विमर्श करने का मंच प्रदान करना था।
कार्यशाला में छात्राओं ने विशेष रूप से मतदाता सूची में नाम जुड़वाने में आ रही कठिनाइयों पर प्रकाश डाला और आशा व्यक्त की कि सर्वोच्च न्यायालय इस प्रक्रिया पर चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई रोक को हटाएगा। यह कार्यशाला केवल मतदान के अधिकार तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें छात्राओं ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने पारिवारिक दबाव, शिक्षा प्राप्ति में आने वाली सामाजिक बाधाओं, और अपनी महत्वाकांक्षाओं तथा समाज की अपेक्षाओं के बीच टकराव जैसे मुद्दों पर खुलकर बात की।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में ऐपवा की महासचिव कॉमरेड मीना तिवारी उपस्थित थीं। उनके साथ ऐपवा की सदस्य और जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता वंदना प्रभा, आइसा की राज्य अध्यक्ष प्रीति, विभिन्न जिलों से आईं आइसा की छात्राएं, और पटना की कई अन्य छात्राएं भी इस संवाद का हिस्सा बनीं।
“बोलने लगी हैं लड़कियाँ: बिहार की युवतियों की आकांक्षाएं एवं संघर्ष” नामक संवाद श्रृंखला की यह पहली कड़ी थी। कार्यशाला के दौरान एक प्रमुख मुद्दा यह भी उभरा कि कई छात्राएं मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रही हैं। प्रतिभागियों ने इस दिशा में कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य परामर्श सेवाओं और सपोर्ट ग्रुप्स की स्थापना की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
ऐपवा ने भविष्य में भी इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित करने की प्रतिबद्धता जताई है, ताकि युवतियों की आवाज़ को और सशक्त बनाया जा सके और वे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
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