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मंगलवार, फ़रवरी 4, 2025
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कंगना रनौत के किसान विरोधी बयानों पर AIKM का विरोध, सुप्रीम कोर्ट से कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। अखिल भारतीय किसान महासभा (AIKM) ने भाजपा सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा किसानों के खिलाफ दिए गए बयानों की कड़ी निंदा करते हुए उनसे माफी की मांग की है। साथ ही, AIKM ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह किसानों के खिलाफ जानबूझकर फैलाए जा रहे भ्रामक बयानों पर स्वत: संज्ञान लेकर सख्त कार्रवाई करे।
कंगना रनौत ने हाल ही में एक हिंदी समाचार पत्र के साथ बातचीत में किसान आंदोलन को “बाहरी ताकतों” द्वारा समर्थित और भारत को अस्थिर करने की साजिश करार दिया। उन्होंने इस आंदोलन को ‘रंग क्रांति’ के रूप में चित्रित करते हुए इसे बांग्लादेश की घटनाओं से जोड़ने की कोशिश की।

कंगना के ये बयान न केवल ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण किसान आंदोलन का अपमान करते हैं, बल्कि किसानों के संघर्ष के प्रति उनकी असंवेदनशीलता और दुर्भावनापूर्ण मानसिकता को भी उजागर करते हैं। जब देश के किसान कठोर मौसम, महामारी और सरकारी दमन का सामना कर रहे थे, तब कंगना रनौत जैसे लोग कॉर्पोरेट हितों की धुन पर नाचते नजर आए।
कंगना द्वारा किसान महिलाओं पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियां और किसान आंदोलन को ‘बलात्कार और हत्याओं’ से जोड़ने के उनके प्रयास, उनके बयानों की नीचता को स्पष्ट करते हैं। यह तथ्य है कि किसान आंदोलन के दौरान लगभग 750 लोग शहीद हुए थे, जिनमें से कई प्रदर्शनकारी किसानों को लखीमपुर खीरी में भाजपा नेताओं के समर्थन से हत्या कर दी गई थी।

AIKM ने कंगना और उनके समर्थकों को याद दिलाया कि किसान आंदोलन, ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरित था। शहीद भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारी इस संघर्ष का प्रतीक बने। ऐसे में, RSS, हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग जैसी ताकतों को, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश साम्राज्यवाद का समर्थन किया था, किसानों की देशभक्ति पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है।
AIKM ने जोर देकर कहा कि यदि विवादित कृषि कानून लागू होते, तो यह देश की संप्रभुता और खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करते।

AIKM ने कंगना रनौत से तत्काल अपने बयान वापस लेने और किसानों से माफी मांगने की मांग की है। साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी किसानों के प्रति अपनी नीतियों के लिए माफी मांगने की अपील की है। AIKM ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने और किसानों के खिलाफ भ्रामक प्रचार फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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