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मंगलवार, मार्च 11, 2025
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AICCTU का राष्ट्रीय सम्मेलन: श्रमिकों के अधिकारों और संविधान की रक्षा के लिए एकजुट हुए हजारों कर्मचारी

दिल्ली में तीन दिवसीय भव्य आयोजन में मजदूरों ने दिखाई एकता की ताकत

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियंस (AICCTU) का राष्ट्रीय सम्मेलन दिल्ली में 24 से 26 फरवरी तक भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस महत्वपूर्ण आयोजन में देशभर से 5,000 से अधिक श्रमिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संगठित और असंगठित कर्मचारी शामिल थे।

श्रमिक संगठनों का ऐतिहासिक मिलन
सम्मेलन का खुला सत्र 24 फरवरी को तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया गया। CPI-ML लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने इसका उद्घाटन किया। देश के प्रमुख श्रम संगठनों – INTUC, CITU, AITUC, HMS, TUCC, UTUC और SEWA के नेताओं ने भी अपने विचार रखे।

कार्यक्रम का समापन एक सामूहिक प्रतिज्ञा के साथ हुआ, जिसमें सभी प्रतिनिधियों ने मजदूरों के अधिकारों, जातिवाद और साम्प्रदायिकता के विरुद्ध संघर्ष तथा संविधान की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व
छत्तीसगढ़ से 15 सदस्यों ने इस राष्ट्रीय सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी की। राज्य से पांच सदस्यों को राष्ट्रीय परिषद में शामिल किया गया, जिनमें दो महिला श्रमिक भी हैं। भीमराव बागड़े को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और बृजेन्द्र तिवारी को राष्ट्रीय सचिव का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया।

नया नेतृत्व और भविष्य की रणनीति
प्यारेलाल भवन में आयोजित प्रतिनिधि सत्र में 229 सदस्यों की राष्ट्रीय परिषद का चुनाव किया गया। इस परिषद ने 75 सदस्यीय कार्यकारिणी और 37 पदाधिकारियों का चयन किया। वी. शंकर को राष्ट्रीय अध्यक्ष और राजीव डिमिरी को महासचिव के रूप में चुना गया।

सम्मेलन ने एक स्पष्ट संकल्प लिया है कि AICCTU को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के साथ-साथ मोदी सरकार के श्रमिक-विरोधी नीतियों का मुकाबला करने और उन्हें परास्त करने के लिए व्यापक स्तर पर संघर्ष की तैयारी की जाए।

श्रमिक आंदोलन का नया अध्याय
यह सम्मेलन ऐसे समय में हुआ है जब देश में श्रम कानूनों में बदलाव, निजीकरण और अस्थायी रोजगार की चुनौतियां बढ़ रही हैं। ऐक्टू का यह नया नेतृत्व श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए एक मजबूत रणनीति के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस सम्मेलन ने न केवल श्रमिक वर्ग की एकता को मजबूत किया है, बल्कि यह भी संदेश दिया है कि श्रमिक अपने अधिकारों और देश के संविधान की रक्षा के लिए एकजुट हैं।

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