back to top
गुरूवार, जुलाई 17, 2025
होमदेशAICCTU की मांग: युद्धग्रस्त इजरायल से भारतीय श्रमिकों को तुरंत वापस लाए...

AICCTU की मांग: युद्धग्रस्त इजरायल से भारतीय श्रमिकों को तुरंत वापस लाए सरकार!

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। अखिल भारतीय केंद्रीय ट्रेड यूनियन काउंसिल (AICCTU) ने भारत सरकार से तत्काल यह मांग की है कि वह युद्धग्रस्त इजरायल में फंसे भारतीय श्रमिकों को तुरंत स्वदेश वापस लाए। ऐक्टू ने इजरायल के साथ हुए “श्रम आपूर्ति” समझौतों को भी तुरंत रद्द करने की मांग की है और इसे भारतीय श्रमिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ बताया है।

AICCTU ने अपने बयान में कहा है कि इजरायली राज्य द्वारा ईरान के खिलाफ हालिया सैन्य आक्रमण से पश्चिम एशिया में अस्थिरता और व्यापक संघर्ष की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में, इजरायल में भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय है।

संगठन ने विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह के 28 नवंबर 2024 के राज्यसभा में दिए गए वक्तव्य का हवाला दिया, जिसमें बताया गया था कि अक्टूबर 2024 तक इजरायल में लगभग 32,000 भारतीय कामगार थे, जिनमें से 12,000 अक्टूबर 2023 के बाद ही वहां पहुंचे थे। यह भी बताया गया था कि संघर्ष के दौरान दो भारतीय नागरिकों की जान चली गई और तीन घायल हुए।

AICCTU ने इस बात पर जोर दिया कि इजरायल में ईरान के साथ मौजूदा युद्ध से पहले भी भारतीय श्रमिक घायल हो रहे थे और कुछ अपनी जान गंवा रहे थे, इसके बावजूद भारत सरकार ने उनकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस पहल नहीं की। ऐक्टू ने मांग की है कि लौटने वाले श्रमिकों को उनका पूरा हक मिलना सुनिश्चित किया जाए।

संगठन ने चिंता व्यक्त की कि पिछले 6 महीने में, सरकार के इजरायल में श्रमिकों को भेजने के लगातार प्रयासों के कारण यह संख्या 32,000 से काफी अधिक हो चुकी है। AICCTU ने मोदी सरकार की इस नीति को “श्रमिक विरोधी” करार दिया है, जिसमें श्रमिकों को एक वस्तु की तरह निर्यात किया जा रहा है और उन्हें “गिरमिटिया दासों” जैसा व्यवहार मिल रहा है।

युद्ध क्षेत्र में भेजना एक ‘आपराधिक कृत्य’
AICCTU ने कहा कि भारतीय निर्माण श्रमिकों और देखभाल करने वाले श्रमिकों को बिना किसी सुरक्षा और कल्याण के युद्धग्रस्त स्थल पर भेजना सरकार की ओर से एक आपराधिक कृत्य के अलावा और कुछ नहीं है। संगठन ने मोदी सरकार की इस “विनाशकारी नीति” की कड़ी निंदा की है, जिसे भारतीय श्रमिकों के जीवन की परवाह किए बिना अपनाया गया है।

AICCTU ने देश के मजदूर वर्ग और आम लोगों से आह्वान किया है कि वे मोदी सरकार की उस नीति का विरोध करें जिसमें भारतीय निर्माण श्रमिकों, नर्सों और देखभाल करने वालों को युद्ध क्षेत्र में भेजा जा रहा है, खासकर तब जब इजरायल द्वारा गाजा में नरसंहारी युद्ध छेड़ा जा रहा है।

तत्काल वापसी और सार्वजनिक बयान की मांग
संगठन ने मांग की है कि क्षेत्र में चल रहे युद्ध और इजरायली नागरिकों के अपने ही देश से पलायन को देखते हुए, भारत सरकार इजरायल में भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत सभी आवश्यक कदम उठाए, जिसमें उनकी वापसी की सुविधा भी शामिल है। इसके संबंध में एक सार्वजनिक बयान भी जारी करने की मांग की गई है।

AICCTU ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को ईरान से भी भारतीय श्रमिकों की वापसी की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। संगठन ने आश्चर्य व्यक्त किया कि केंद्र सरकार ने इस संबंध में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है, जबकि इजरायल और ईरान से भारतीय छात्रों को पहले ही निकाला जा चुका है। AICCTU ने मांग की है कि भारतीय श्रमिकों को निकालने के लिए भी उतनी ही तत्परता दिखानी चाहिए।

अंत में, AICCTU ने मजदूर वर्ग के सभी लोकतंत्र प्रेमी सदस्यों से आह्वान किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि केंद्र सरकार मजदूरों के हितों की बलि देने की कीमत चुकाए।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments