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रांची में AICCTU की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू: 9 जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान

रांची (पब्लिक फोरम)। आज झारखंड की राजधानी रांची में अखिल भारतीय केंद्रीय ट्रेड यूनियन (AICCTU) की केंद्रीय कार्यकारिणी समिति की महत्वपूर्ण बैठक शुरू हो गई है। देश के विभिन्न क्षेत्रों और अलग-अलग सेक्टरों से आए AICCTU के वरिष्ठ नेता इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी 9 जुलाई को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाना और मौजूदा सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों के खिलाफ मज़दूर वर्ग को एकजुट करना है।

केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुटता का आह्वान
बैठक में उपस्थित सभी नेताओं ने ‘फासीवादी मोदी सरकार’ के खिलाफ मज़दूर वर्ग को एकजुट करने का संकल्प लिया। AICCTU के शीर्ष नेतृत्व ने इस बात पर जोर दिया कि मज़दूरों के अधिकारों पर लगातार हो रहे हमलों और बढ़ती महंगाई के बीच, एक सशक्त और सामूहिक विरोध ही एकमात्र रास्ता है। नेताओं ने कहा कि श्रम कानूनों में किए जा रहे बदलाव, निजीकरण की बढ़ती रफ्तार और मज़दूर विरोधी नीतियां, देश के श्रमिक समुदाय के भविष्य को अंधकारमय बना रही हैं।

9 जुलाई की हड़ताल: एक निर्णायक कदम
केंद्रीय कार्यकारिणी समिति की इस बैठक में 9 जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की जा रही है। यह हड़ताल देश भर के मज़दूरों, किसानों और आम नागरिकों के सामने आ रही चुनौतियों के खिलाफ एक सशक्त आवाज़ बनने की उम्मीद है। AICCTU के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस हड़ताल का उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाना है ताकि वह मज़दूरों के हितों की रक्षा करे और जनहित में नीतियां बनाए। बैठक में हड़ताल को सफल बनाने के लिए जमीनी स्तर पर जनसंपर्क, प्रचार-प्रसार और विभिन्न श्रमिक संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करने की योजनाओं पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

मज़दूरों की आवाज़, देश की आवाज़
AICCTU के महासचिव राजीव डिमरी ने बैठक के दौरान कहा, “आज देश का मज़दूर वर्ग एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है। हमारे अधिकारों को छीना जा रहा है और हमारी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। ऐसे में हमें एकजुट होकर अपनी आवाज़ उठानी होगी। 9 जुलाई की हड़ताल केवल एक विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि देश के हर उस व्यक्ति की आवाज़ है जो न्याय और समानता चाहता है।” उन्होंने आगे कहा कि यह लड़ाई सिर्फ मज़दूरों की नहीं, बल्कि देश के लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई है।

बैठक में आगामी दिनों में चलाए जाने वाले विभिन्न अभियानों और आंदोलनों की भी रूपरेखा तैयार की जा रही है। AICCTU का मानना है कि मज़दूरों की एकता ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। ‘मज़दूर एकता जिंदाबाद!’ के नारों के साथ, यह बैठक इस बात का संकेत दे रही है कि आने वाले समय में मज़दूर संगठन अपने अधिकारों के लिए और भी बड़े संघर्ष के लिए तैयार हैं।

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